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Yorop ke Hindi


योरोप के रशिया, फ्रांस, ब्रिटन आदि देशोंमे जनता और राजे सारे के सारे आर्यवंशीय हि थे. फिर भी आर्य वंशीय जनताने उनके आर्य वंशीय राजा रानीयोंको गाय बकरी से भी क्रूर पद्धतीसे गिलोटिन के नीचे रखकर मारा था. उनके राजवाडे और महल भी फुंक दिये थे. यह इतिहास हमसे जादा पुराणिक नही है. पश्चिम आशियाई और उससे सलग योरोप के पाश्चिमात्य मुलुकोंके मूलतः निवासी मुसलमान और अंग्रेज इनकि भारत मे घुसखोरी के बहुत पहले उसी पश्चिम आशियाई मुलुक से भारतीय हिंदू धर्म के जनक और अद्यापि पालक, ऐसे ब्राह्मण भारत मे घुसखोरी करने वाले सर्व प्रथम ऐसे आर्य वंशीय है. उन्होंने जिसे धर्म के नामसे भारत के मुल निवासी सपुतों पर थोपा था, वोह हिंदू यह धर्म था हि नही, ऐसे भारतीय सुप्रीम कोर्ट का सत्यान्वेषी फैसला हुआ है. वोह हिंदू नामकी एक संस्कृती मात्र हि है, जिसकि नियमावली ब्राह्मनोंने मनुस्मृती नामके पुस्तक मे गठीत की है. वर्तमान अघोषित ब्राह्मण मुखीये ने भी समस्त ब्राह्मनोंकी ओरसे, उस उन्होंने ५००० सालोंसे यहा के मूलनिवासी, जिन्हे वे अभी भी झुठ से हिंदू घोषित और साबित करनेके अथक प्रयास कर रहे है, उनसे छिपाया हुआ सत्य आखिर मे कोर्टसे पडी लाथ के बाद स्वीकारा है. <$> उन परकीय ब्राह्मनोंने सर्व संमत मानवी नैतिकता के सारे नियम और संकेतोंका बेछूट और क्रूरता से उल्लंघन करके भारत के मूलनिवासी सपुतोंमेसे उनके नियुक्त बहु संख्यांक मुलतः भारतीय हि है ऐसे सपूत गैर ब्राह्मण रखवालदारोंको उनके हि खून के कुछ लोगोंको उनके लिये भी अछूत घोषित करके, खुदके पैरों तक हि पहुंचने तक उंचे बनाकर उनको उनकेहि अछूत बनाए भाई बंदोंपर वे रुबाब चोद सकते है ऐसा परमिट सुओमोटो देकर उनमे उस पोकल अहंगंड का इंजेक्शन लगाया है. वैसा करनेका अधिकार उन्हे किसने दिया था, और उनका वैसा अन्याय्य और फालतू कहना, स्वतंत्र बुद्धी के इन्सान क्यू मानेंगे यह सवाल भारतीय मूलनिवासी, जो अभी भी वो हि मानकर व्यवहार करते है, उन्हे देख कर करना मूर्खता हि होगी. <$> लेकीन उन ब्राह्मनों द्वारा अज्ञानी रखे उन सपुतोंके लिये दुनिया के सारे आर्य खून के लोगोंके सर्व समुहों मे खुदकि फुटी कवडी भी दानमे देनेकि दानत और नियत जिनके खून मे हि नही है ऐसा एकमेव समूह ऐसे हमारे सबसे वीरला आर्यवंशी ब्राह्मनोंके विरोध को नही जुमानते, केवलं एक हि परकीय शासक ऐसे अंग्रेजोंने ब्राह्मनोंने गत ५००० सालोंसे खुद के लिये हि आरक्षित रखा था, वो शिक्षा का अधिकार व ज्ञान का भांडार यहा के मुल निवासी सपुतोंके राजओंसहित अछुतोंको भी खुला करने के बाद सेल्फी के वास्ते हि क्यो न हो, पर स्मार्ट फोन से परिचित बने मुल निवासी सपूत पुराण कालीन श्रीखंडी बनने कें हि शौकीन रहेंगे और छटाक भर परदेसी ब्राह्मनोंने चुने हुए आधुनिक श्रीखंडी ऐसे रंडवे मोदी को भी ब्राहमनों जैसे हि उनका भी बाप मानकर अगले इलेक्शन मे चुनेंगे, ऐसी तुम्हारी जो भविष्य वाणी है वोह तुम्हारी नजरमे मुल निवासी भारतीय सपूत अब भी हिजडे हि रहे है यह दर्शाती है. भट्ट ब्राह्मण हो. तुम समझते हो वैसा नही है. कोई वेश्या तो क्या पर अनैसर्गिक संभोग कि लत लगाये हिजडे को भी घोर अपमानास्पद, तुच्छ, गलीच्छ ऐसी तुम्हारे पैर धुले पानी को पवित्र तीर्थ मानकर पिनेकि जो आदत या लत तुमने मूलनिवासीयोंको लगाई थी, उससे तुमने हि दूर रखे अछूत दूर हि थे. वे अन्य मुल निवासी सपुतों जैसे ब्राह्मनोंको ठोकने के लिये सदैव उपलब्ध हिजडे बनने के बजाय उनकी खुद हिजडोंको ठोकने कि क्षमता कायम बनाके रखे है. उनके नेता से प्रभावित मूलनिवासी सपुतोंको सदा वंदनीय ऐसे ब्राह्मण भी उस अछूत नेता को हि वंदनीय मानकर उनके अनुयायी बन गये. फिर क्या? ब्राह्मनोंकि सही नक्कल प्रत बनने का ध्यास लेकर, ब्राह्मनोंके कुछ गुन उनके पैरोंको छु के या उनके पैर धुले पानी को पिके खुदमे भी आयेंगे ऐसी हि आस और धारणा सारे मूलनिवासी गैर अछूत सपूत पालते आये है. उस अछूत नेता के ब्राह्मण अनुयायीयोंके पीछे पीछे अब कुछ मूलनिवासी गैर अछूत सपूत समूह भी जागृत हुए है. और थोडा समय लगेगा, वे मूलनिवासी गैर अछूत सपुतोंको भी मूलनिवासी अछूत सपुतोंकी तरह उनमे भी सर्वांगीन व सर्वव्यापी जागृत लानेमे. लेकीन वैसी जागृती का प्रोसेस शुरू हुआ है. जैसे उन्होंने परकीय और हत्यारलैस मुसलमान, और अंग्रेज लोगोंको भारतसे दूर किया वैसे हि केवल खोखली धार्मिक चोपडीयोंके साथ हि भारत आये ब्राह्मनोंको उनकी जगह दिखा देना उनके लिये मुश्कील नही है. डरना तो अब पेशवा बुद्धी के ब्राह्मण और उनके बनिये चेले चपाटेंको. क्यो कि ब्राह्मण मूलनिवासी नही है, और बनिये मूलनिवासी सपुतोंका खून चुषते पलते है. वैसे बनिये मोदी, अमित शहा और जेटली ने तेल चोर बनिये धीरूभाई, अदानी और बिर्ला जैसे को वे डूबो हि देना तय है ऐसा २०-२० लाख करोड रु. का कर्जा सत्ता मे अनेके बाद तुरंत देके उनके बाहर देसोंमे आसरा लेने का पुख्ता बंदोबस्त किया है. ब्राह्मण गर भारत छोडकर भागेंगे तो वेदांत ग्रुप और उनका हनुमानि सेवक रामदेव बाबा ने उनका भी इंतजाम करके रखा है. मुझे तो साला पुने का वो शनवार वाडा जलाया नही जाये ऐसा दिलसे लगता है. ऐतिहासिक वास्तू है वो. पेशवा के दुस्कृत्योंसे वो अपवित्र हुआ होगा तो क्या हुआ? जालीम पेस्टीसाई गोमुत्र है ना अपने पास, जो अभी अभी नाशिक के सापुतोंने देवेंद्र फडणवीस के पीछवाडे को पवित्र करने याने वो जिस रास्ते से गुजरा वो उसके पीछेके रास्ते को धोने मे उन्होंने वापरा. शुरुआत हुई ना अब सबको पवित्र अपवित्र के झमेले मे व्यस्त रखके खुद मस्त जिंदगी जिने वाले पवित्र ब्राह्मण को हि अपवित्र मानने कि मानसिकता कि? छगन भुजबळ याद आ रहा है, जब उसके नाशिक वाले भी गोमुत्र पर इतना विश्वास दिखाते है तो. लगता है जेलके संडास साफ करने भी वोह गोमुत्र मंगाता होगा.


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#दि. २८/५/२०१७ च्या पत्रलेखिका सामंत यांच्या पत्राच्या अनुषंगाने स्फुरलेले विचार. मंगला ताई सामंत या नावा वरून ब्राह्मण वाटतात. तसेच असेल तर माझ्या सारख्या अस्पृशातील एक असा मी व समस्त अस्पृश्य वर्गास त्यांनी मांडलेले विचार काहीसे दिलासादायक आहेत. नजीकच्याच भूतकालीन पाश्च्यात्य प्रवाशांनी नोंदवून ठेवलेल्या मतांप्रमाणे सर्वच भारतिय ढोंगी व अप्रामाणिक आहेत या समजुतीस ते छेद देणारे देखील आहेत. अद्याप हि काही प्रामाणिकता व माणुसकी रा. स्व. संघाच्या ऐतिहासिक सिद्ध विकृत पेशवाईची पुनर्स्थापना करण्याच्या धेय्याने पछाडलेल्या ब्रह्मवृंदास वगळता, अन्य ब्राह्मणात शिल्लक आहे हे सामन्तां सारख्या एका ब्राह्मण भगिनी मुळे जाणवल्या नंतर, आद्य शंकराचार्योत्तर काळा पासून ब्रिटीश राज्यकर्त्यांच्या आगमना पर्यंत, सर्वरीत्या नागवल्या व पिडल्या गेलेल्या अस्पृश्य व आदिवासी समूहात, अस्पृश्य नेते बाबासाहेब आंबेडकरांच्या अवतीर्ण होण्या नंतर प्रगती सह जी विद्रोहाची हि लाट उसळली, व फक्त ब्राह्मणांनीच बोथट संवेदनाशील व कट्टर असहिष्णू अशा बनविलेल्या ब्राह्मणेत्तर बहुसंख्यांकांच्या बेताल वर्तनावर एक अक्सीर इलाज म्हणून

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@ Hi Kshatriya Buddies! From last 5000 years, separated from your native colleagues, you followed, served & by sipping their foot washed liquid as holy, tried your best, to copy to foreign’ prophet Mohammad’ related Brahmans, with their only scripted Manusmruti, all so called holy books & with their imposed all only mythical & imaginary gods. If you counted & studied your status, from late Mr. Y.B. Chavhan, late Mr. Vasant Dada Patil, Mr. Rajnath Singh, Mr. Shivraj Chavhan or Mr. Sharad Pavar too, which is of the same posts of Brahmans’ attendants & guard, in so called free India. Forget their pulled & imposed, only real god in their Hinduism, as one of the incarnations, like Fish, Pig, Ram, Krishna, & your seven times’ eliminator Brahman Parshuram, of mythical powerful lord Vishnu, i.e. Lord Buddha from natives to follow or to remember too, but in then free environment of British rule, if you truly & voluntarily had walked only few steps in reverse