Skip to main content
!ब्राह्मणाय!अगर मुसलमान अफझलखानका हिंदू बम्मन नौकर भास्कर कुलकर्णी, उसके मालिक अफझलखानको बचानेके प्रयासमे हमारे वंदनीय शिवाजी महाराज को जानसे मारनेमे सफल होता, तो छत्रपती शिवाजी महाराज के नामपर गल्ला जमा करते घुमने वाला और महाराष्ट्रके बम्मन सी.एम. देवेंद्र फडणवीसके हाथो महाराष्ट्र भुषण पदवीसे नवाजा गया बम्मन नौटंकीया श्री बाबासाहेब पुरंदरे, आज शायद उस कुत्ते भास्कर कुलकर्णी या शिवाजी महाराज के जबरदस्त बेटे संभाजी महाराज को नशेबाज बनाके और फसाके मुघल औरंगझेबके शिकन्जें मे धकेलने वाले एक और बम्मन कुत्ता कवी कलश, जिसे कब्जी कलुषा के नामसे भी पेह्चाना जाता है, इनकी भी तारीफ प्राचीन बम्मन दगाबाज चाणक्य जैसी करते थे और दक्षिणाओंसेही अपनी झोलीया भरते नजर आते थे. वैसे भी भारतमे पहले घुसखोरी किये आर्य बम्मन, उनके बाद भारतमे घुंसे उनके ही भाईबंद मुसलमान और अंग्रेजोंकी सेवा ही मुल भारतीयोन्से वफादारीसे करते दिखाई दिये है. भारतीय मुलके सम्राट चन्द्रगुप्त के अनौरस पिता सम्राट नंद को धोखाघडी से मरवाने वाला चाणक्य भी तो बम्मन हि था! कमालका स्वार्थ और उसके लिये हरबार धोखाघडी करना इनके खून मे हि है. परदेसी बम्मन भारतकी कुल आबादिके केवल साडे तीन टक्के ही है. उसके बावजुद मनु द्वारा लिखित मनुस्मृतीके जरियेहि स्थापित, और स्थापन कालसे आज तक केवल बम्मन शंकराचार्योसे संचालित हिंदू धरम और उसकी जाती व्यवस्था ही सारे भारतीयोन्के सर पर नाचनेके उनके माध्यम है. अभी जो वोह शिवाजी महाराजकी प्रतिमा का उपयोग उनकी हिंदू संस्कृती (धरम?) आबाद रखने के लिये हर स्तरपर कर रहे है, वोह उनके अधिपत्य कायम करनेके प्रयासका ही एक भाग है. शादिसे ले कर राज्याभिषेक तक हर बार उस शिवाजीको नडने और पिडनेवाले बम्मन, इस्लामी प्रेषित मोहम्मद के खानदानके खुनके रिश्तेदार होनेके नाते, मुस्लिम मुघल अफझलखान का सेवक भास्कर कुलकर्णी, गर उसके मुस्लीम मलिक को बचानेकी शिकस्तमे उसने आजकल हिंदू हृद्य सम्राट कहलाए जाने वाले शिवाजी महाराज पर किये जानलेवा हमले मे यशस्वी होता था, तो आजकी तारीखमे उसे कोसना तो दूर पर उसे और उसके कांड को भुलानेकी हि कोशिशमे लगे बम्मन बम्मन गोडसे जैसी उसकी भी जयंती और पुण्यतिथिया करके उसे अमर बनाते थे. और साहजिकतासे शिवाजीको बुरी तरह बदनाम करनेमे भी नही शर्माते थे. मुल भारतीय महा पराक्रमी सम्राट चंद्रगुप्त और सम्राट अशोक का गर्व करनेके बजाय उनके सेवक भडवे चाणक्यकीही महानता वोह केवल बम्मन था इसलीएही दुनिया पर वे थोम्प रहे है. भास्कर कुलकर्णीकी उस कांड की कामयाबी के बाद शायद बम्मन शिवाजी को बुरी तरह बदनाम करके, आजकी तारीखमे शिवाजी कि प्रतिमा का इस्तेमाल वोह जैसे हिंदूओंको मुस्लमानोंके खिलाफ भडकानेमे करते दिखते है, वैसे शिवाजी कि प्रतिमा ह्टाके वोह जुलमी औरंगझेब कि प्रतीमाका उपयोग खुदकी निर्मिती हिंदू धरम को खुद हि लाथ मारके केवल इस्लाम धरम फैलानेके लियेभी करते नजर आते तो कोई आचरज कि बात नहि होती थी. याद रहे कि प्रेषित मोहम्मद के खानदानसे उनके खूनके रिश्ते का ख्याल रखते हुए बम्मन भारतसे दुरके मक्काके करबला तक मोहम्मद के पोते हुसेनकी राजपाट पानेके लीए खुदकेही रिश्तेदारोंसे छेडी जंग मे मदद करने दौडकर गये थे. हुसेन ने उन्हे उस वक्त हुसेनी बम्मन इस पदविसे नावाझा था, जिसे वोह कल तक गर्व करते भी दिखाई देते थे. जो बात या प्रतिमा उनके अहमियत को बढावा देनेकी या उनके मतलब की नही होती या उनके खिलाफ होती है, उसे वोह सुनियोजित और बेमालूम तरीकोंसे अपने ५००० सालोंसे रक्षित और विकसित पिढिजात पढने, लिखने और प्रवचन देने के ह्कनुमा हुनर के बल बदनाम या नष्टप्राय करनेकी उनकी महिरात से बुरी तरहसे बदनाम और बादमे गुमनाम या नष्टप्राय भी कर देते है. उनकी ऐसी खुबी और माहिरातसे कुछ ह्दतक मुसलमान छोडकर शायद ही कोइ दुसरे बराबरी कर सकते है. सप्रमाण सिद्ध वास्तविक भारतीय इतिहासके महान योद्धा और महा पुरुषोकी जगह चोदू भगत, अमानवीय विषमता का पुरस्कार और देवी मानी गयी पत्नीके चारित्र्य पर शक करके उसे बेसहारा खुंखार जंगली जनवरोंके साथ अकेले जंगलमे भगाने वाले चारित्र्य हिनोंको केवल भारतियोन पर ही नही तो भारत के बाहरके लोगोंपरभी स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, श्री श्रीरवी शंकर, पांडूरंग शास्त्री आठवले, नानाजी देशमुख, अप्पासाहेब और बहुत सारे धर्माधिकारी, सनातन के डॉ आठवले और बालाजी तांबे जैसे (स्वार्थी) ध्येयनिष्ठ बम्मन और उनके पढतमूरख बाबा रामदेव, साक्षी महाराज, तोगडिया और सद्य प्रधानमंत्री श्री मोदी जैसे गैर बम्मन चेलोन्के के जरीये, महान और अवतार बनाके बम्मन लिलया थोम्प सके है. पुरी दुनिया जान चुकी है की महात्मा फुलेजींके विचार और छत्रपती शाहू महाराज के खायालात और उपकारोन्के प्रभावसे ही भारतके डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी खुदको सर्व समावेशक असीम प्रतिभा शाली और जगद्वंद्य बनानेमे सफल रहे. ऐसे किरपालू महात्मा फुलेजी और शिवाजीकेही वंशज छत्रपती शाहू महाराजको बम्मन उनके कट्टर दुष्मन मानते है. महात्मा गांधीका खुनी स्त्रैण नथुराम गोडसेकी जयंती और पुण्य तिथिया बम्मन खुलेआम मनाते है. लेकीन शिवाजीके वंशज शाहू महाराजजीको उन्होंने दुश्मन और उनकी प्रातहवंदना मे याद करने लायक भी नही ऐसे तूचछ माना है. बडी शर्मिन्द्गी बात यह है की बम्मन और हिंदू धर्मकी रखवालदारी और बम्मनोंका अनुनय और नक्कल करनाही परम धरम मानने वाले, खुदको शिवाजी महाराज की औलाद बताने वाले लोग भी शाहूमहाराज को कभी याद करते दिखे नही. बेवकुफोंकोने शायद पढा भी नही होगा की आज वोह जो हक के तौर पर आरक्षणकी भिक मांग रहे है, उस आरक्षण कि प्रथाके जनक भी शाहूमहाराज ही थे. कितनी बेईमानी है यह उन बम्मन सेवकोन्की ! क्या वजह है बम्मनोंकी शाहूमहाराज और फुलेजीसे दुष्मनीकी ? वोह दोनो बम्मनोंकी हीनता और नीचता का परदाफाश करने वाले पहले भारतीय थे. लुतभरे कुत्ते से भी बद्तर ऐसी उन्होंने बम्मनोंकी अवहेलना और प्रताडना मरते दम तक कि है. शाहूमहाराज उनके भाषनोंमे दक्षणा के नाम पर बम्मन कैसे गैर ब्म्म्नोंकी पत्निया और बच्चीयोन्की भी संभोग के लीए मांग करते थे और उन्हे ले भी जाते थे इसकी सच्ची हकीकत बयान करने नही चुके थे. वे हिंदू धर्म कि जगह ब्रह्मो समाजके अनुयायी बने थे. बम्मनोंके आर.एस.एस. कि जो प्रातः वंदना होती है उसमे उन्होंने हमारे परम वंदनीय शिवाजी महाराज के साथ केवल डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजीको ही वंदनीय माना है. भारतके अर्वाचिन इतिहासमे मराठोन्के एक ही खानदान के पहले छत्रपती शिवाजी और दुसरे शाहूमहाराज ऐसे, मराठाओंके आजतक के केवल दो ही सर्वश्रेष्ठ व्यक्तीओंमेसे उनका अस्तित्व और अनिर्बंध व्यभिचारी अधिपत्य आबाद रखनेवाले ऐसे उनके आधार हिंदू धरमका अस्तित्व कायम रखनेके लीए ही, उन्होंने हिंदु धर्मकि विरोधमे प्रत्यक्ष कुछ संदेश नही दिया ऐसे शिवाजी महाराज को ही खुदके साथ जोडा है, और उनका पोलखोल करनेवाले शाहूमहाराजजी को टाला है. फायदेमंदको झलकाना और नुकसान दायक छुपाना यह तरीका तो वोह जबसे भारत मे घुंसे थे तबसे अपना रहे है. कभी निकाला है उन्होंने उस कुत्ते बम्मन भास्कर कुलकर्णी का विषय जाहीर सभामे, कमसे कम निषेध करनेके लीए हि सही? हिंदू धरम के तहत अवध्य ऐसे बम्मनोंमेसे एक कुत्ते बम्मन भास्कर कुलकर्णी को मारने वाले शिवाजी महाराज हि हिंदू कुप्रथाओंको नष्ट करने वाले पहले क्रांतिकारी हिंदू राजा थे. असलमे हिंदू धर्म की अमानवीय और नीच जाती प्रथाको खुलेआम लताडने वाले शाहूमहाराजजी ने तो शिवाजी महाराजकीही चाहत और निती को विशाल और जाहीर रूप दिया है. एक अब्राह्मण भगवान बुध्द, ब्राह्मण संतद्वयी एकनाथ और ज्ञानेश्वर के बाद भारतमे, सर्वप्रथम सर्वजिव, सर्वधर्म, और सर्वजाती समभाव का एल्गार जगाने वाले शिवाजी महाराज हि तो पहले अब्राह्मण क्रांतिकारी थे और है. सत्ता पाने के पहले केवल पुजारी के रुपमे रहने वाले और हिजडों जैसी संभावना होने वाले ब्राह्मनोंकी विकृतीया सत्ता पाने पर कैसे पनपती है यह उनकी पेशवाईकी शियासत से जगजाहीर है. आर एस एस और बीजेपी इस दौर मे अब भी वैसा और वोही विकृतीकाल आया है. बम्मन अब उन्होने उनकी मतलब के लीए नचाए पर हमारे लीए चीर वंदनीय छत्रपती शिवाजी महाराज प्रतिमा को अब उनके ५००० सालोंसे बुद्दू बनाये हिन्दुओन्कि भी नझरमे ओझल करनेकी साजीश रच रहे है. गैर बम्मन छत्रपती शिवाजी महाराज की कोई किसी भी बम्मनसे असलमे हजारो गुना जादा महानता और उंचाइ बम्मनोंके अंगभूत विकृत इर्षा वृत्ती को खलने वाली बात तो पहलेसेही थी. शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक और शादी जैसे पवित्र मुहूर्त पर भी बम्मन उनको नडे थे इस बातसे वोह बिलकुल ही साफ होता है. शिवाजी महाराज को नीचा दिखानेके वोह उनके संधीसाधू स्वभावके अनरूप सही मौके की ताक मे ही अबतक रहते आये है. अबका बनिये मोदी का अनिर्बंध राज शायद उन्हे उनके उस नीच कांड के लीए सही समय और मौका लग रहा है. वोह नीच लोग वार तो करनेकि हिम्मत तो किसी तरीकेसे जुटा पाते है, पर किसी ना किसीके आडसे. उसके अनुरूप इस वक्त उन्होंने उनसे भी कई गुना ज्यादा हिजडे ऐसे बनिये, जो वैसे भी जमानेसे सर्व दृष्टीसे सिद्ध सामर्थ्यशाली मराठी और उनके महाराष्ट्र से जलते दिखे, उन्हे चुना है शिवाजी महाराज के खिलाफ उनकी बदनामी की मुहीम को शुरु करने के लीए. वोह चीर महान शिवाजीके मुकाबले खडा करना चाहते है ऐसा शख्स, जो फिल्मोमे नाच्या दिखाया गया है ऐसे बम्मन बाजी पेशवाको. उसे शिवाजीसे जादा महान दिखानेके लीए कोई एक गांडाभाई ललित मेहताने दि.१०/१०/२०१६ कि उसकी गुगल प्लस पर डाली पोष्ट मे श्री अजित दोवाल कि तरफदारी करनेके आडमे शिवाजी को कमसीन और कमअसल जताकर कडी निंदा कि है. वैसे भी जो खुदके गुजरात मे अपनोंमेसे ही कोई राजपुरुष अपने उपर राज करनेके लिये पैदा करनेमे भी नाकाबिल रहे ऐसे, गांडू बनियोनपर थुन्क्नेमे मैने कभी भी कमी नही बरताइ. पर इस बार उनमेसे एक ने मेरे महान आदर्श छत्रपती शिवाजी कि बदनामी कि जो मोहीम केवल बम्मनोंकीहि साजीश के तहत छेडी है, उससे शिवाजी महाराज कि औलाद कह्लानेका हकदार नही होते हुए भी उन हकदारोंसे जादा मेरा खून जादा खौल रहा है. वह गांडाभाई जहा मिले वहा अच्च्छी सबक सिखानेमे कसर नही छोडेंगे, भले शिवाजी कि औलाद होने कि डिंग मारने वाले बैठे रहे बम्मनोंकी चाटते ही. जय शिवाजी, जय भीमराय.

Comments

Popular posts from this blog

Maratha Cowards

@ Hi Kshatriya Buddies! From last 5000 years, separated from your native colleagues, you followed, served & by sipping their foot washed liquid as holy, tried your best, to copy to foreign’ prophet Mohammad’ related Brahmans, with their only scripted Manusmruti, all so called holy books & with their imposed all only mythical & imaginary gods. If you counted & studied your status, from late Mr. Y.B. Chavhan, late Mr. Vasant Dada Patil, Mr. Rajnath Singh, Mr. Shivraj Chavhan or Mr. Sharad Pavar too, which is of the same posts of Brahmans’ attendants & guard, in so called free India. Forget their pulled & imposed, only real god in their Hinduism, as one of the incarnations, like Fish, Pig, Ram, Krishna, & your seven times’ eliminator Brahman Parshuram, of mythical powerful lord Vishnu, i.e. Lord Buddha from natives to follow or to remember too, but in then free environment of British rule, if you truly & voluntarily had walked only few steps in reverse

Monki Modi' Manki Bate(Hindi)

मनकी बाते @@@@क्याबे बनिये मनकी बाते, मनकी बाते कहते कहते, कहता और थोम्पता भी है बाते सारी बम्मन्की. है क्या कोई बम्मनोंसे अलग और केवल अपनीहि काह्लाने वाली एक भी बात तुम सबकी ? बचपन से तुम तो सुनते आये हो बम्मन कि, करते भी आये हो बाते बम्मन कि. क्या है तुम्हारा खुदका, अगर सारी कि सारी बाते है बम्मन कि. सोचा है क्या तुमने कभी भी जनकी? कि है तुमने शर्म अपने मनकी? ३३ करोड देवोंके साथ साथ धर्म कि सारी कि सारी किताबे भी उनकी, उनके पैर धुले गंदे पानी को भी तीर्थ समझकर पिने कि भी लत तुम सबकी. हिंदू धर्म जो केवल संस्कृतीही मानी गयी है, वोह संस्कृती भी उनकी, बचाई क्या कोई संस्कृती तुमने अपनी खुद्की ? और कहते फिरते हो बाते मनकी! विकृत रोगी हो तुम सारे के सारे आदत जो पडी है पैर उनके छुनेकी. तुम उनके सामने झुकते हो उनके पैर भी धोते हो, उसी धुले पानी तीर्थ समझकर पिते भी हो, कभी कि है इतनी सेवा तुमने अपने मां बापकी ? मालिक के सामने झुकने वाले नौकर को तो बिदागी मिलती है मालिक कि. तुम उनकेहि सामने सर झुका कर भी उन्हे हि दक्षणा देकर जेबे भरते हो उनकी. आया है बाते कहने अपने मनकी! तुम्हारे जैसे ला

Bastard Indian Media

All bastard Indian Media owned by orthodox ! Before arrival of a single too vagabond at any public meeting of all Non Untouchable Hindus, editor keeps news of million audience with photo too, ready to print. Dirty smell too is reported by reporters interested to be appointed at outlet or leakage points of any upper caste Hindu from a gutter lane too, addicted of weeping against oppressed especially untouchables' socially reserved status. They boast their impartiality, secularism, great tolerance & being parliamentarian too but decidedly denied to acknowledge dirtiest smell of decomposed cattle in Gujarat. Bastards knew that all international chefs from India are Brahmans, who did not hesitate to cook whole human on demand of their customers & to please them. Banned cow's flesh is their own regular diet too. Bastard all Brahmans' top leaders, of course from their formed & owned RSS only have supplied not their daughters only, but wives & mothers too to Musl