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भारतके ब्राह्मण भी पहला मुस्लीम आक्रमक मीर कासिमसे पहले उसी के मुल्क से और उसीके हि रास्ते से भारत मे आये सर्व प्रथम विदेशी है. वे इस्लामी पैगंबर मोहम्मद के खानदानी खून के भी है. मुस्लीम और अंग्रेज आक्रमक जब भारत के मूलनिवासी हिंदूओंका जबरदस्तीसे धर्मांतर कर रहे थे, तब हिंदू धर्म के स्वामी ब्राह्मण इतिहास मे उस धर्मांतर का प्रतिकार और हिंदू धर्म कि रक्षा करते नही दिखे थे. परंतु पैगंबर का पोता हुसेनने जब मक्का के करबला मे ताज और तख्त के लिये जंग छेडी थी, तब ब्राह्मण उनके खून के रिश्ते को याद करके उसे मदत करने दूर के भारतसे करबला मे गये थे. उनके एहसान के बदले मे हुसेन ने ब्राह्मनोंको 'हुसेनी ब्राह्मण' कि पदवी बहाल कि थी, जिसका वे
भारत लौटने के बाद भी कुछ समय गर्व करते थे. शायद इसी लिये जब अफगाणिस्तान के बामिया मे मुस्लीम भगवान बुद्ध कि हेरिटेज मूर्ती ध्वस्त कर रहे थे तब बुद्ध भी राम और कृष्ण के जैसे हि हिंदू धर्मके विष्णू के एक अवतार होने के बावजुद ब्राह्मनोंने आजतक उनका धिक्कार नही किया है. अब वे प्रखर मुस्लीम विरोधक और मुसलमानोंकी बाबरी मशीद विध्वंसक होने कि वजह क्या हो सकती है?
दोस्तो ब्रह्मवृंद आखीर प्रामाणिकता के रास्ते अपनाते दिख रहे है. देखो ना कैसे ब्राह्मनोंने हिंदू यह कोई धर्म नही और उनसे १०० गुना जादा गैर आर्य एतद्देसी भारतीयों पर लदी ऐसी उनकी जीवन शैली या संस्कृती मात्र हि थी यह ५००० सालोंसे छुपाया राज अभी आम कर दिया, वैसे हि उन्होंने ५००० सालोंसे जीन्हे उच्च वर्णीय क्षत्रिय दिखाते उनकेहि अछूत भाईयोंसे खुद को बचानेके उस हिंदू संस्कृती के उनके हि निर्मित नैतिक अधिष्ठान शून्य कल्पित देवोंके धाक और सहारे इस्तेमाल किया, उन उच्च वर्णीयोंके बारेमे वे जो अबतक दिखाते आ रहे थे वैसी गर्व और अपना पन कि भावनाएं थी वो उनका छालावा या पाखंड हि था यह भी अब आखिर मे जाहीर किया. उन उच्च वर्णीय क्षत्रीयोंके बारेमे भी वे अछुतों जैसे हि तुच्छ भाव ५००० सालोंसे हि पालते आ रहे थे यह बात अब साफ हो गयी है. अगर उस पुनावली खोले नाम कि शुल्लक ब्राह्मण औरत वयोवृद्ध क्षत्रिय दादी का उसके घर मे आना भी पाप समझती होगी तो उन्हे दिल मे क्या खाक जगह दिये होंगे? वो शुल्लक ब्राह्मण स्त्री उस वृद्धा कि भी गर इतनी खराब हालत कर सकती है, तो औरोंको कीस निचले स्तर कि ट्रीटमेंट देती थी? अब शायद दुसरे नंबर के तुलना मे कम पैसोवाले और कम चालाक लोगोंसे तिसरे नंबर के पैसे व अच्छे बोलबच्चन वाले वैश्य बनियेंको वे अब इस्तेमाल करेंगे. अमित शहा जैसे बनिये तो बम्मनके पांव धो कर उसकी भक्ती खुले आम जाहीर कर रहा है. ब्राह्मण नीती हि है युज एंड थ्रो और तोडो फोडो राज करो वाली. महाराष्ट्र का उनका एक जमानेका जानी दोस्त पक्ष वोह अच्छा अनुभव कर रहा है. एक बात सोचके हांसी आ रही है दोस्तो कि गर उस क्षत्रिय दादी कि जगह किसी ओबीसी और मोदी जैसे किसी घांची कि दादी होती थी और उस शुल्लक ब्राह्मण कि जगह किसी शंकराचार्य के मठ के किचन कि मालकीन होती तो?
तथाकथित शिवप्रेमी जहाल कर्मठ ब्राह्मण नेता टिळक और बाबासाहेब पुरंदरे ने अवध्य बनाए गये एक ब्राह्मण को मौत के घाट उतारने वाले पर उनके फायदे के लिये झुठ्मूट से गोब्राह्मणप्रतिपालक दिखाए गये छत्रपती शिवाजी को तिलक लगाने बाद हि ब्राह्मनोंने हत्यार रखनेके लाईसेंस दिये गये लोग ब्राह्मनोंके साथ महाराज कि प्रतिमा अपनाने और नचाने लगे यह वास्तव है. ब्राह्मनोंका शिवाजी महाराज कि प्रतिमा को अपनाना तो भगवान बुद्ध जैसे हि लोगोंको उनकी ओर खींचनेके अंतस्थ हेतू के तहत है. कभी कभार उनके पैर धुले पानी को तीर्थ समझकर पिने के रोगी बने मूलनिवासीयोंके सैंकडो वंदनीय महापुरुशोंमेसे चालाक और उनकी सुविधाओंके तहत हि विद्वान बने ब्राह्मनोंने गर भगवान बुद्ध को हि उनके परम वंदनीय विष्णू का एक अवतार बनाया है, तो भगवान बुद्ध हि निसंशय सर्वश्रेष्ठ मूलनिवासी महात्मा है. पर बुद्ध दक्षणा और पाखंड के विरुद्ध थे. उससे केवल दक्षणा पर हि भरणपोषण के सर्वस्वी अवलंबित ब्राह्मण भुके मरने लगे थे. इसलिये हि उन्होंने मूलनिवासीयोंके वंदनीयोंसे भगवान बुद्ध को हटाना हि नही चाहा, तो उनके बारेमे द्वेष भी फैलाया. इतने मतलबी और क्रूर कृतघ्न है ब्राह्मण. अब उन्हे पैसोंवाले बनिये और मोदी जैसा बतुनी काकाकुवा हाथ लगा है. जीससे शिवाजी के वंशजोंसे सौ गुना जादा मॉब को वे वश करनेका उनका हेतू वे साध चुके है. अब उन्हे शिवप्रतिमा कि जरुरत नही पडेगी. दारू पिते वक्त बम्मन उनके जनेऊ उतरकर वेटर के पास सुरक्षित जमा करते है वैसे शिवाजी कि प्रतिमा का महत्व उनके लिये नही रहेगा तो शायद चाण्क्यानुज गद्दार ब्राह्मण अब भगवान बुद्ध जैसे हि शिवाजी महाराज को भी साईड ट्रेक पर पार्क करेंगे. उनके उसी तय प्रयास कि पैरवी एक गुजराती ब्राह्मण ललित मेहता ने गुगल+ पर कि है. उसने बम्मन सुरक्षा सल्लागार डोवल कि सर्जिकल स्ट्राईक के लिये तारीफ कि और, बाजीराव पेशवा को शिवाजी से कई गुना जादा महान बताया. उसका समाचार हमारे सीवाय शिवाजी के एक भी वंशज ने आजतक लिया नही. शायद कोई ब्राह्मण हि उसके बारेमे उनको बताता था, तो वे तुरंत जय भवानी जय शिवाजी चील्लाने लगते थे. लेकीन ब्राह्मण क्यू उनके बनिये साहूकारोंके पीछे इतनेमेही वो भवानी तलवार लागाएंगे? कब चुप्पी साधना और कब रेप हुवा भी नही तो भी रेप हुवा रेप हुवा ऐसे चील्लाना कोई उनसे हि सिखे. हम तो शुद्र ठहरे. बाबासाहेबजी जैसे महद्विद्वान उन्हे अपचन होते है तो हमारी कैसे मानेंगे? खैर एक रिवाज रहता है कोई चीज या चंदा मांगनेका. पावती पर हम उस महान का फोटो छापते है जिसके नाम हम चंदा मांगते है. कुछ मांगने जाते है तो प्रोटोकोल के तहत दिलमे नही तो नही लेकीन चेहरे पर तो जरुरी लीनता कि एक्टिंग लानी होती है. स्वाभिमानी शिवाजी महाराज कि प्रतिमा तो आम बात बनी है कुछ भी मांगते हुए, जिसे वस्तुतः लाचारी हि समझी जाती है. जब सामाजिक आरक्षण कि मांग के लिये हम उसके भारतीय संविधानके सामावेशक आंबेडकरजी के साथ साथ उसके आद्य जनक इंपोर्टर शाहू महाराज कि भी प्रतिमा साथ रखते है, तो शिवाजी महाराज के वंशजत्व का अभिमान जताने वाले भी जब सामाजिक आरक्षण मांगने जाते है, तो शिवाजी के साथ साथ आरक्षण के आद्य जनक शाहू महाराज कि भी प्रतिमा साथ राखने के लिये क्यू शर्माते है? उनसे जादा तो शाहूमहाराज हि शिवाजी के थेट वंशज है. ब्राह्मनोंने शाहूमहाराज कि महानतासे उन्हे अज्ञ हि रखा गया है. सारे ब्राह्मनोंजैसे टीळक भी शाहूमहाराज के प्रखर ब्राह्मण विकृतीया विरोधी धोरण कि वजहसे उनसे मदत लेते भी डरते हि थे. बाबासाहेब आंबेडकर जी कि महानता के आदर्श महात्मा फुले और शिल्पकार शाहूमहाराज उनके कार्यकर्तृत्व के लिये दुनियाभर जानेमाने होने के बावजुद ब्राह्मनोंके RSS ने शिवाजी के साथ केवळ आंबेडकर जी को हि उनकी वंदना मे स्थान दिया है. ब्राह्मनोंका विकृत महत्व बढाने के बजाय ब्राह्मनोंकी पोलखोल हि कि है उन्होंने. हमे चिंता लगी है कि हमे टिळक या बाबासाहेब पुरंदरे जैसे शाहूमहाराज को भी स्पोंसर करने वाला ब्राह्मण कहा मिलेगा, जीससे ये स्वाभिमानी अपने और पराये के भेद समझने वाले बुद्धीमानी भी बन सके! नमो बुद्धाय! नमो शिवराय! नमो शाहुराय! नमो भीमराय! 1 punch? Upper cut? Hook?
@ झुठ बाते फैलानेसे बाज नही आते है ये. क्या नैतिक अधिष्ठान है रामायण को, जिसका नायक राजकुमारी सीता को उसके बाप राजा जनक के पास भेजने कि बजाय जंगली जानवरोंकि शिकार होने को मजबूर करता है. क्या नैतिक अधिष्ठान है उस राम कथा को जिसका नायक एक फालतू धोबी कि औकात के किसीके, सीता को अपहरण काल मे रावण कि शय्या सखी रही थी ऐसे घोर अपमानित करने पर, किसी सामान्य पती जैसे भी उस धोबी को एक चामाट भी नही लगा पाया था, उसे रावण जैसे बलाढ्य शत्रू को मारने वाला शूर वीर, आदर्श राजा और विशेष बाब याने एकपत्नीव्रत ऐसे आदर्शोंका सर्वगुणसंपन्न राजा के भेस मे अज्ञ लोगोंके माथे मारा जा रहा है. जब उस फालतू औकात के और अपनी पत्नी को रावण कि शय्या सखी बताने वाले उस धोबी को कोई कडी सजा देने के बजाय राम सीता को हि हकाल देता है तो, उस फालतू धोबी के सामने राम कोई सामान्य हि नही तो कायर हि नजर आता है. ऐसा कायर दिखा नायक किसी ऋषी तुल्य शंबूक को तपाचरण करने कि इच्छा हि केवल जाहीर करने पर, उसे प्रतिबंध लगाने के बजाय वो अछूत था इसी केवल कारनवश उसका खून खुद करते उसका घीनौनापन हि साबित करता है. <$> सुना है किसी शिवाजी या राणा ने राम को पुजते हुए? शिवशंभू या कोई देवी हि उनके लिये आदर्श और पूजनीय रही है. वे राम को उनके आदर्श नही मानने वाले सुज्ञ थे, अनाडी अछूत साक्षी महाराज जैसे. <$> रामकथा एक अनैतिकता को बढावा देने वाली झुठी कहानी हि है, जो सुरस प्रवचन, भजन, कीर्तन, आख्यान और सप्ताहोंके जरीये, कोई भी शारीरिक कष्ट के कामोंको टालने वाले समुहोंको लोगोंने उनके पेट पालने का हजारो सालोंसे साधन बना रखा है. पेशवा को तो दिल्ली कि मुघल सल्तनत भी मानती थी. अभी राम के नाम बाबरी मशीद तुडवाके भारत मे बम धमाकोंकी प्रथा को निमंत्रण देने वाले राम प्रेमी और पेशवाई फिरसे लाने कि सोचने वाले RSS के ब्राह्मनोंका पेशवा तो तभी गरीब बने मुघल बादशहा के हाथोंसे हि बाबरी मशीद तुडवा ले सकता था और राम मंदिर बनाके देने कि मांग भी कर सकता था. राम तो बस उनके काम का है, इसलिये उन्हे उसमे राम है. वरना उनका राज होता था तो वे राम कृष्ण को बाजू रखते ब्राह्मनोंके सहस्त्र भोजन तो क्या पर केवल साडेतीन टके के अल्पसंख्याक होने कि वजहसे भारत मे हर जगह दशलक्ष ब्राह्मण भोजन का आयोजन करते रहते थे. <$> भारत मे अंग्रेज आने के बाद उन्होंने हि गैर ब्राह्मण सवर्ण राजे महाराजोंके साथ साथ भारतीय अछूतोंको भी शिक्षण लेने का अधिकार दिया, जो ब्राह्मण हजारो सालोंसे दबोच कर केवल उनके लिये हि आरक्षित रखे थे. उस लिखने के ग्यान के तहत जिनके नायक मुल निवासीयोंके अलग अलग सामुहोंको भा सकेंगे ऐसे नायकोकोंको विजयी दिखाने वाली रामकथा जैसी हजारो मनगढन्त कहानिया लिख चुके है वे. काम हि क्या था उनको, जब उन्होंने उनके चुले कि लकडी लाना और उनकी खेती कसने का भी काम मूलनिवासीयोंका हि धार्मिक कर्तव्य जो बनाया था. हिंदू धर्म और उसके ३३ करोड देवोंकी संकल्पना भी उनकी हि है. खोजबिन कि जायेगी तो ब्राह्मनोंने हजारो सालोंसे लिखी कथाओंके पोथियोंकी संख्या ३३ करोडोंसे कुछ जादा हि मिलेगी. मूलनिवासीयोंको अभी भी अज्ञानी रखने मे गर वे सफल रहते थे तो कोई अछूत बाबासाहेब आंबेडकर तो क्या पर सवर्ण योगी आदित्यनाथ भी जो कुछ सातवी आठवी कक्षा तक पढाई कर सका है, वैसा भी एक भी सवर्ण मूलनिवासी नही दिखता था. प्रवचन भजन के मारेसे सब चुतीये रामभजन बना दिये गये है, जिस कला को मोदी मनकी बात द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर और चाणक्य का अनुज देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र मे उपयोग करते दिख रहे है. {चाणक्य ने गद्दारी करके जिस नंद राजा कि बजायी थी उसके जैसा मोदी का नाम भी नरेंद्र याने न से हि स्टार्ट होता है. हिस्टरी रिपीट होगी? अब तो ये ३-१/२% वाले देवोंके दलाल चाणक्य मंडली पेशवा बनकर राजगद्दी के खून का भी चश्का लेके उसके हि बेहद लालची हो गये है, और मोदी का भी कोई वारीस नही है तो खुद चाणक्य हि चंद्रगुप्त बनेगा?}. उस हुनर से बीचमे अफवाओंके सहारे सभी चुतीयोंको उनका काम धंदा छोड कर कागज के उपर की गणपती प्रतिमा को भी दुध पिलाने बिठा दिया गया था. बीजेपी को केवलं १६-१७ टक्का सपोर्ट रहा है, जो १२५ करोड कि आबादी मे केवल २० करोड होते है. याने १०५ करोड भारतीय उसके साथ नही है. जबकी कॉंग्रेस को ३१-३२ टक्के. यह हकीकत है. मै कॉंग्रेस वाला नही हु. रही पिछवाडा मरवाने कि बात. (उन्होने ब्राह्मण कि बेशरमी से जो गलत शब्द से मेरी आरती उतारी है, वे हम अनुशासन प्रिय व खानदानी शरीफ होने से हि दोहराएंगे नही). शादीशुदा और औरस अनौरस ४ बच्चे पैदा करने वाला मै इतनी तुम्हारे जैसोंकी मार रहा हुं तो मरवाने वाला नजर आता हु क्या तुम्हे? देख ना मोदी को तीन साल शादिसुदा औरत के साथ रहा, फिर भी कोई संतान नही हुई तो औरत को छोड देकर उस स्कूल टीचर को हि बदनाम कर दिया. उसके बारे मे तुम ऐसा कुछ भी नही कहते हो. कायर हो या अपने वालोंने किया तो माफ और दुसरोंने नही किया तो भी पाप? फिर मरवानी होगी तो मिल ऐसे हि भुले भटके. १ ओन द रन गोल ? २ हेडर गोल ३ पेनल्टी किक गोल?
<$> ना खावूंगा ना खाने दुंगा, भले हुं चाय बेचने वालेकी औकातका फिर भी कोट पेहनुंगा नवलाखका<$> राजीव गांधी और इंदिराजी के देश के लिये किये बलिदान को भारतीय पंतप्रधान मोदिजी ने आदरपूर्वक याद करने के बाद, कल हमने भी उनके लिये कुछ स्तुती सुमन अर्पित किये थे. उससे भारत कि १२५ कोटी जनसंख्या मे से मतदान के लिये उतरे ५६% याने ७० कोटी मेसे ३१% याने केवल २० कोटी जनता, जिसकी इकजूट होकर किये मतदान के बल पर उन्हे अच्छे दिन आये हो या नही आये हो, पर चुनके आके बीजेपी का अकाल खत्म होके उसे अच्छे हि नही तो बहुत हि अच्छे दिन नसीब हुए, उन भाग्यवान बीजेपी वोटरोंमे से बहुत लोगोंको मिरची लग गयी है. राजीवजी कि देखेंगे, करेंगे वाली स्टाईल यही एक टीका का विषय बचा है उनके पास. इस सरकार के कारगिल, उरी, पठाणकोट, पूंछ, काश्मीर और डोकलाम के अपमान और महंगी तूर दाल खरीदते या नोटोनकि लाईनोंमे खडे करके मौते देने वाले, गाय बैल के कत्तल खाने बंद करके अस्प्तालोंमे बालकोंके कत्तल खाने खुलवाने जैसे हजारो घोर अपराधोंको वे मोदी भक्त याद करने कि क्षमता हि खो बैठे है. कोई नई बात नही. <$> अपना सब भार या जिम्मेदारी सौंप कर आश्वस्त हो सके, ऐसे किसी कंधे या नायक कि हि खोज मे रहने के मानसिक रोगी बनाए गये भारतीय, उस नायक के सभी पापोंको भी अध्यात्म के नाम पर ईश्वरी लीला बताते, उसके कोई भी नैतिक अधपतनके कृत्य कि भी आरती गाने मे अपराधी पन महसूस नही करते है.<$> बेचारे रावण ने सीता का पावित्र्य अबाधित रखा था. फिर भी केवल किसीके उसे खलनायक बताने पर सारे भारतीय उसे जलाते वक्त हर्षोल्हासित होते है, पर उनके नायक राम ने सीता को जंगल मे छोडने के बजाय उसके पिता, महाराज जनक के पास क्यो नही भेजा इस रास्त सवाल का जवाब धुंड ना भी पाप समझते है. <$> वैसे हि बनिये + बम्मन राज मे, स्वार्थत्याग, बलिदान, शहीद होना याने शहादत इन शब्दोंको लोग जैसे भूल हि बैठे है. एक भी बम्मन या बनिया स्वातंत्र्य युद्ध मे फांसी पर लटका नही. RSS तो अंग्रेजोंके चमचोंका हि रोल करते, उनके जाने के बाद स्वतंत्रता का जैसे एक करार हुआ था, उसी धर्ती पर एक करार के तहत भारत कि सत्ता फिरसे केवल बम्मन पेशवा को हि सौंपी जाये इसके लिये अंग्रेजोंको मनाने मे हि व्यस्त थी और स्वातंत्र्य युद्ध से कोसो मिल दूर थी. इस सत्यतासे अवगत होते हुए भी जब RSS के स्वयंसेवक मोदी जी RSS और बीजेपी को महान देशभक्त बताते है, और दुसरोंकी देशभक्ती कि निंदा करते है, तब ये इकजूट संघटीत RSS/बीजेपी/मोदी भक्त और उनके पीछे उपर वर्णीत अंधानुयायी भारतीय भी वैसा हि करते है. सब राम भरोसे हिंदू होटल जैसा हि कारोबार दिखता है. 1 caught out? 2 clean bowled? 3 not out? .
नीचे के फोटो के ससुर उन लव्ह जिहाद के वक्त पौरोहित्य करते वक्त लुंगी और काली टोपी के बजाय गोंडे वाली टोपी डालते होंगे?
पहले भारतीय घुसखोर और मोहम्मद पैगंबर के रीश्तेदार ऐसे विदेशी ब्राह्मनोंने उनके पीछे बुलाये दुसरे भारतीय घुसखोर और ब्राह्मण के रीश्तेदार पैगंबर मोहम्मद के चेले, मीर कासीम के बाद हि सारे मुस्लीम भारत मे घूस आये. ८०० साल तुम्हारी मारी. चाणक्य से लेकर मराठा शिवाजी का राज हडप करने वाले पेशवा तक ये ब्राह्मण मुल भारतीय सापुतोंको पूर्ण अस्पृश्य या उनके केवल पैर हि छुने तक का सौभाग्य देनेकी दया दिखाके, मुल भारतीयोंको कायम तुछ लेखने वाले और उनसे कायम गद्दारी हि करने वाले दिखे है. ब्राह्मण तो कभी तानसेन तो कभी बिरबल बने उनके मोहम्मद के चेले ऐसे मुसलमानोंसे हि केवल इमानदार दिखे है. गये ना वे मुसलमान पाकिस्तान, बांगलादेश के साथ साथ उपरसे ५५ करोड रु. भी लेकर? क्या उखाड पाये तुम उनका? हिजडो लास्ट टाईम भी यही RSS थी तब मुसलमान पाकिस्तानने उसकी संगीन कारगिल तक अंदर घुसाई थी. तब उसके लिये खुद को जिम्मेदार ठहराने के बजाय, उस अंदर घुसे पाकिस्तान को बाहर निकालनेके काम को हि उन्होंने जैसे कोई बच्चा पैदा किया है ऐसी ख़ुशी दिखाकर उसे जनता पर विजय दिन करके थोप दिया था. अब तो पुजारी रहे बाह्यतः पापभिरू और वस्तुतः डरपोक ब्राह्मण वाजपेयी के बजाय, जीनमे राजा पैदा करने कि औकात हि नही थी ऐसे गांडा गुजराती राज कर रहे है, तो पाकिस्तान के साथ साथ चीन भी उसका सेना दल भारत के अंदर घुसाड रहा है. बनिये तो दिखने मे भी पापभिरू नही है. वे भारतीयोंको ब्राह्मनोंने जितना चुतीये बनाया है, उससे जादा चुतीये बनानेकि क्षमता रखते है. देखे ना सारे पुरुष भारतीय पंतप्रधानोंमे अबला कहलायी जाने वाली महिलओंसे एक हि मर्द ऐसी इंदिराजिने जिते पराजित बांगलादेश को बनिया मोदीने भारत का १० हजार चौरस मैल प्रदेश अपने बाप कि जायदाद मानकर रुबाब से दे दिया था? वे तो चायना और पाकिस्तान के भारत के अंदर घुसके पुरे काश्मीर और भूतान मे ठिय्या मारकर बैठने कि कारवाई को भी स्वातंत्र्य युद्ध के भगोडे RSS के लिये कारगिल जैसा एक और विजय दिन बना देंगे. तब तो १ खुद के हि उखाडते बैठोगे? या २ उनके साथ हिजडों जैसे नाचोंगे? या ३ इनकी निंदा करोंगे?
फोटो मां कि संदुक से चुराया क्या? तेरी मा से बाप कि गैर मौजूदगी मे वक्त मिला तो पुछ हि ले तेरे जनम के पेहले मैने कितनी बार उपर और कितनी बार नीचे टोपी चढाई थी. .
@ <>राजीव जी को स्मरण नही किया <> बहुत बडी भूल! <> अबला समझी जाने वाली नारी जाती से होने के बावजुद, आजतक के सारे भारतीय पंतप्रधान, जो मोदी का अपवाद छोड के संयोग वश पुरुष हि थे, उनमे एकमेव मर्द ऐसी रणरागिणी, रणमर्दिनी और हमे माते समान बहु आदरणीय स्व. इंदिराजी के वे पुत्र थे, यह तो उनकी एक पहचान है हि, पर इंदिराजी के जैसे हि देश के लिये उन्होंने भी जो बलिदान किया, वो अपनी जगह बेजोड और महान तो है हि पर उनकी स्वतंत्र पेहचान भी है. खास करके अभी के स्वातंत्र्य युद्ध से भी भगोडे RSS कि पैदास ऐसे बीजेपी के राज मे और उन्होंने विकृत स्वार्थी निर्णय और हेतुओंके तहत हि परम विकृत बनाये माहोल मे, जब इंदिराजी ने फाडके रखने के बाद जिस पाकिस्तान को खडे रहना भी मुश्कील था, वो पाकिस्तान किसी अधबुढे के हात १६ सालकी लचीली बीबी मिलने के बाद वो जैसा आव ना ताव देखता, समय समय और गैर समय भी उस बीबी के पीछे लगता दिखता है, वैसे भारत को कभी कारगिल तो कभी उरी और कभी पुंछ तो कभी पठाणकोट ऐसे जगह जगह और समय गैर समय ठोकता दिखता है, और जब

अबतक शांत रहा चीनी ड्रेगन भी भूतान, जिसकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है, वहा के डोकलाम और अन्य सीमाओं पर हमारे अधुरे राशन और वरीश्ठों के आत्याचारोंसे विद्रोही दिखते जवानोंसे जबरदस्तीसे पत्थरसे आबादुबी का खेल खेलता दिख रहा है तब राजीवजी कि जयंती भी भुलना घोर पाप है, और उनके बलिदान का दिन भी. उन्हे और उनके साथ माता इंदिराजी को भी शत शत प्रणाम. <> दोस्तो एक खास बात इस वक्त घटी है. हमारे दोस्ताड नरेंद्रभाय मोदी ने उसकी जिंदगी मे व RSS पिल्लोंके इतिहास मे कल पहली बार ट्विटर पर राजीवजी का भावपूर्ण और आदरपूर्वक स्मरण किया है. सालोंको उनकी महानता सिद्ध करना असंभव हि है, फिर भी हाफ चड्डी हायकमांड के आदेश से सुरज पर थुंकने कि कोशिश करते उनके मुख कमल गंदे हि करते रहे. कुछ दिन हि पेहले अब मरे हुए जमाना बिते मराठी साहित्यिक रा.ग.जाधवजी को जन्मदिन कि शुभेच्छा पत्रिका भेजने वाले शिक्षण मंत्री विनोद तावडे ने राजीवजी का अनादर पूर्वक नामोल्लेख किया था. पडी ना उसके मुख कमल पर लाथ जब उसके मह्तादारणीय आश्रयदाता मोदी ने राजीवजी का ऐसा भावपूर्ण आदर किया तो? वैसे हि वो देवेंद्र फडणवीस जिसकी चुनाव पूर्व दिनोंमे कुछ भी औकात और पेहचान न होने के बावजुद आबा याने आर. आर. पाटील, जो उस वक्त महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री थे, उन्हे भरी सभा मे आरे आबा आरे आबा जारे आबा ऐसे टाईप के शब्दोंसे बेइज्जत किया था. आबा बेचारे केंसर मरीज थे और अब नही रहे है. ब्राह्मण देवेंद्र यह भी भूल गया था कि यही पाटील लोग पहले उसके ब्राह्मण पुर्वजोंके जजमान रहा करते थे और उनके रोजीरोटी और सुरक्षा का भी भार ढोते थे. इंदिराजी और उनका नेहरू परिवार मानो इनका कट्टर दुश्मन! इंदिरा जी का भी वो नाम नही लेगा ऐसे उसने कहा था. पर राज पर बिठा दिये जाने के बाद एक हि साल मे उसे भी इंदिराजी को भावभिनी श्रद्धांजली अर्पित करनी पडी थी. खैर जब ५६% वोटिंग हुवा था तब ये लोगोंको ३१% वोट मिलके वे चून के आये थे. याने १२५ करोडों भार्तीयों मेसे ७० करोड भारतीयोंने मतदान किया और ५५ करोड भारतीय न करने वाले या इनके विरुद्ध हि थे. ७० करोड मे इन्हे ३१% मतदान हुआ था. याने ७० करोडोंमेसे ७० x ३१/१०० = २१.७ करोड या २२ करोड भारतीयहि इनके फेवर मे और १०३ करोड भारतीय इनके विरुद्ध हि है.(EOE = चूकभूल द्यावी घ्यावी). फिर भी वे इतने उड रहे है. विकृती के और क्या लक्षण हो सकते है? क्या गणित सही १ है? २ नही है?
हिजडे यहा प्रेक्टीस करते अपनी औरत को गाली देनेकी हिम्मत जुटा रहे हो क्या? तेरी बेहेन को चोदने वाला कह रहे हो तो जीजू बोलने मे शरम क्यो रे लौंडे? अबे ये सेंटर पार्ट गायब मोदी के सेंटर पार्ट गायब झाटू लोमटे, तेरी भी तो मोदी के जैसी पीछे फटी हि है. लौडे के बाल लौंडे मीर काफिर !
बहुत सारे मोदी भक्त बौखला गये है...
## इंटरनेट और रास्ते पर गुंडा गर्दी करने वाले गोमाता भक्त और बम्मनों द्वारा उनके पैर धुले पानी को भी तीर्थ स्वरूप मानकर पिने जितनि नपुंसकता कि लत लगाके बैठे गैर ब्राह्मण हिजडो, तुम्हारे अगले हिस्सेका जोर तो तुम ब्राह्मनोंके खिलाफ खो हि बैठे हो. तो गोहत्या के आड मे तुम्हे मुसलमानोंके खिलाफ उकसाने वाले, शाकाहार का अवाजवी डिंडीम बजाने वाले ब्राह्मण और जैनोंके गोवंशकि कत्तल करके वो मांस निर्यात करने वाले अब तक चालू कारखानोंकी तोड फोड करनेकी हिम्मत गर तुम्हारे ब्राह्मनोंद्वारा ठुकावू बनाये पिछवाडोंमे अभी भी बाकी है तो, जावो जलावो उनकी वोह फेक्टरिया. उन्हे अबाधित रखने के लिये और मुसलमानोंको उस गोमांस का मुसलमानि देशोंसे निर्यात व्यापार का लाभ नकारने के लिये हि गोवंश हत्या पर पी.एम. मोदी के जरीये निर्बंध लागाए गये है. ब्राह्मण कोई भी कृती निजी स्वार्थ को नजर अंदाज करके नही करते है, तीन साल कि शादी शुदा जिंदगी मे रंडवे मोदी का पौरुष्य तो सिद्ध हि नही हुवा है.
GOOGLE + पे एक भक्त के उठाये सवाल के जवाब मे => कोई भी हिंदू धर्मग्रंथ और महाकाव्य सत्याधारित और नैतिकता आधारित तथ्यविहीन ही है. अरबी सुरस कथाओं जैसे काल्पनिक लेकीन उनसे जादा अनैतिक और अमानवी प्रथाओंको महत्व देने वाले सारे हिंदू धर्मग्रंथ और रामायण महाभारत जैसी कथाओंमे हि उलझे मत रहिये. शायद उन किताबोंकि संख्या उनके निर्मित ३३ करोड देवों जीतनही हो सक्ती है. काम हि क्या था उन निठल्ले बैठे दक्षणा जीवी कलमगार ब्राह्मनोंको बुद्दू मूलनिवासीयोंको भांपाने वाली कल्पनाए धुंड ने के अलावा? अब घांची मोदी और उसकी उससे बनेल मराठी कॉपी जो मनकी और रविवार कि बात का रतीब लगाये है ना, वैसाही अखंड आख्यान, व्य्ख्यान, प्रवचन, भजन, कीर्तन आदि का मारा करके तुम्हारा बुद्धिभेद याने ब्रेनवाश करना तुम्हे उनमे और उनकी चिकित्सा मे उलझाये दंग रखना यहि बम्मनोंका शुरू से हि मकसद था, है और रहेंगा. उसके आड मे वे तीन टक्के के परदेशी ब्राह्मण तुम्हे उनके हर बात मे उपदेश करके उसके बदले मे तुमसे दक्षणा ऐंठ ने के जबरदस्ती से बनाये गये उनके अनैतिक अधिकारोंकी चिकित्सा करनेके लिये और उस अधिकार को चुनौती देने का तुम्हे फुरसत हि नही मिले इसकि दक्षता लेते रहे. उनके लिखे मनुस्मृती जैसी किताबोंके जरीये लिखा पढी से उन्होंने ही अज्ञ और बुद्धिके गरीब जन रखे ऐसे तुम मे वे अपना महत्व अबाधित रख पाते है. उन सब कथाओंको कुछ भी किंमत नही है. मेरी अन्य पोश्तोंको पढेंगे तो अपनी देवी मनी पत्नी सीता को उसके पिता जनक के राजमहल मे छोडके आनेके बजाय जंगल के हिंस्त्र पशुओंके हवाले बेसहारा छोडके आने वाले राम का तुम अगर सुज्ञ रहोगे तो नाम भी नही लोगे. तुम तुम्हारी पत्नी से ऐसा व्यवहार करते थे क्या? तुम्हारा साला तो तुम्हारे जान का दुश्मन हि बन जाता था. तुम्हारे लिये आगे कुछ ऐसी हि फालतू अनैतिकता पेश कर राहा हू, जिनमे तुम अपने आपको देखो और तय करो कि वैसे माहोल मे तुम क्या करते थे.
पांचो उंगलिया एक सरिकी नही होती है. सज्जन सुज्ञ ब्राह्मनोंके मुकाबले पेशवाई चाहने वाले ब्राह्मण संख्या से छटाक भर के है. पर क्रिमिनलोंकी टोली जैसे बेहद इकजुट होती है, वैसे वो घट इकजूट है. उपरसे जाने माने व्हाईट कॉलर क्रिमिनल बनिये भी उनके साथ है. दुर्भाग्यसे भारत मे टोली का हि बोलबाला रहता है, जैसे दावूद और राजा भय्या. अकेले वे किसीसे भी भीडते हि नही यह मेरा अच्छा अनुभव है. अच्छे लोग टोलीया बनानेमे अनुस्तुक रहते है. इसलिये वे बेनाम होने के बावजुद जब वक्त और माहोल का तगाझा रहता है तो वे अकेले भी आवाज उठाते है. जैसे बम्मन कमला हसन कि बम्मन बेटी श्रुती ने हिंदू धर्म को खुनी धर्म कह दिया है. मै बम्मनोंके पैर धुले पानी को तीर्थ स्वरूप मानकर पिने वाले तथाकथित गैर बम्मन उच्च वर्णीयोंपर तरस खाता हुं. महाराष्ट मे पोतराज नामकी एक जात है. वे जिस देविके नामपे लोगोंसे पैसा मांगते है, उसे एक पिटारे मे स्थापित करते सर पर रखके उसका आदर करते है, उससे कृतज्ञ रहते है. पर जब उन पोतराज भाईओंसे सर्व तरहसे उच्चे प्रस्थापित है और प्रगत समझते है ऐसे वे गैर ब्राह्मण उच्च वर्णीय जब सामाजिक आरक्षण मांगने जब निकल पडे थे तब उस आरक्षण के घटनात्मक दाता डॉ बाबासाहेब आंबेडकरजीके प्रती आदर और कृतज्ञता दिखाना बाबासाहेबजिकी की अछूत जात के कारण उनके ब्राह्मण दत्त उच्च स्थान के अभिमान को ठेंस पहुंचा सकता था यह कुछ अटपटा लगके स्वीकारनेके बावजुद यह सवाल पैदा होता है कि जिस आरक्षण कि भिक वे मांगने निकल पडे थे, उस आरक्षण के सर्व प्रथम भारतीय जनक या आद्य दैवत ऐसे शाहूमहाराज को भूलने जितने वे कृतघ्न है क्या? जिस छत्रपती शिवाजी कि प्रतिमा वे नचा रहे थे, उनका शाहूमहाराजजी ने आयात किये सामाजिक आरक्षण कि संकल्पना से तो कुछ भी संबंध नही था. उन्हे उनके हि छत्रपती शिवाजी (वैसे शिवाजी को उनसे जादा अन्य हि उनसे कई गुना जादा कारनोंके लिये गर्वस्थान मानते है.) के वंशज, आरक्षण के अद्यदैवत ऐसे शाहूमहाराज पराये हो गये थे क्या? कृतघ्नता का दुसरा नाम गद्दारी ऐसा भी होता है, जो दुर्गुण किसी अछूत भी गैर ब्राह्मण मे नही दिखेगा. व्यतिरिक्त भारत के कोई यह लिये को वे अछूत होने चल दिखते द्न्य . वो जिनको देव या देवोंके मध्यस्थ मानकर अपार भक्तिभावसे बम्मनोंके पाव छुते है और कभी उनके पांव धुला पानी पिने के लिये मिलना उनका परम भाग्य मानते थे, ऐसे बम्मनोंने भी जिनके भक्त और अनुयायी बनना स्वखुशी से कबूल किया और उनके बाप मनु लिखित मनुस्मृती को अभद्र बताकर उसे स्वयंस्फूर्तीसे जलाया, उन आंबेडकरजी का बडप्पन उन्होंने जाना और माना भी नही. पागल यह भी अनदेखा कर रहे है कि छत्रपती शिवाजी के साथ साथ मोदी कि बीजेपी व RSS उनकी दैनिक प्रातः प्रार्थना मे बाबासाहेब कि भी आरती गाते है. किसी भी एक बाजू मे मै नही हुं. बस इतना जानता हुं कि सार्वत्रिक समानता हि भारतीयोंको इकजूट कर सकती है जिसके बिना भारत इज्रेल जैसे छोटे राष्ट्र से भी कमजोर हि है. मोहम्मद पैगंबर के रीश्तेदार बम्मनोने निर्मित मानवीय भेदभाव फैलाने वाली हिंदू संस्कृती अगर कोई धर्म हि नही बचती तो अपने मूलनिवासी बुद्ध जिन्हे उन्होंने विष्णू अवतार बताकर उस संस्कृती मे मतलब के लिये हि खींचा था उन गैर पश्चिमी आशियायी इसाई और इस्लाम से नैतिकता के बारेमे हजार गुना श्रेष्ठ भगवान बुद्ध को हि क्यो नही सारे भारतीय आपनाते है? मूलनिवासीयोंको नंगा होने का शौक हि है तो बैलोंकि रेस के जैसे कुंभ मेले के इव्हेंट भी वैसे के वैसे रख सकते है. होली का नंगा नाच भी हम कायम कर सकते है. सब इव्हेंट वैसे के वैसे हम मना सकते है. एक हि फरक के साथ कि कोई भी इव्हेंट हमारे मर्जीनुसार रचे जायेंगे, ब्राह्मण को कोई फिरौती दक्षणा के रूप मे देने का बंधन हम पर नही रहेगा. ये जो इव्हेंटोंमे हम गत ५००० सालोंसे जीन देवोंकी मिनतवारी करते आये है, वे अगर उतने प्रभावी या चालू शब्दोंमे जागृत होते तो बम्मनोंके साथ साथ ८०० साल मुसलमान और ४०० साल इसाई इन बम्मनोंके हि मुल स्थान के धर्मानुयायी जब पुर्विके बुद्ध धर्मानुयायीहि ऐसे हमारे मेसे बहुत सारोंपर जबरदस्तीसे उनका धर्म थोंप रहे थे, तब उनको वैसा नही करने देते थे. साला पौराणिक पुष्पक विमान यह सत्यता है ऐसा अभीभी झुठ कहने वाले ब्राह्मनोंके कोई मंत्र मे कुछ दम हि नही था क्या अक्रमकोंको रोकनेका. उस मंत्र तंत्र के जोर पर कमसे कम जिस पेशवाई के वे गुण गाते है उस पेशवा के पीछवाडे पे पानिपत मे मुस्लीम अब्दाली कि पडी लाथ तो वे रोक पाते. हिंदू यह कोई धर्म नही और संस्कृती हि है ऐसा भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला है. मोदी के अनौरस पालक घर RSS के मुखिया मोहन भागवतजी ने उसके इंग्लंड दौरे मे उसे दोहरा के स्वीकार भी किया है. फिर भी मरी हुई चीपकली कि टूटी पुछ जैसे लंबे समय तक तीलमिलाती रहती है, वैसे भागवत सहित सारे बम्मन वो उनके दक्षणा पाने का आधार ऐसी चीपकली मरी है यह सत्य अज्ञ मूलनिवासीयोंसे छुपाने के हि प्रयास मे त्रस्त है. उम्मीद रखते है वे परंपरागत अज्ञ भी हम जैसे सुज्ञ बनेंगे.

• किसी पाठक नाम के ब्राह्मण गुगली + ने केरला मे ब्राह्मनोंको जबरदस्तीसे मुस्लीम बनाया गया था ऐसे प्रतिपादित करके हमे झुठ साबित करना चाहते है. उनके जैसे और सारे ज्ञानी ब्राह्मण और गैर ब्राह्मण भारतीयोंके लिये पाठकजी को अलग पोष्ट भेजने के साथ साथ यह पोष्ट हम आम कर रहे है. <> महाराष्ट्र के कर्मठ ब्राह्मनोंमेसे कट्टर प्रगतीवादी स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ने संशोधित सत्य है कि केरला के दर्यावर्दी आरबों की कमाई के लालची ब्राह्मन, जीन्होंने स्वनिर्मित हिंदू धर्म के अंतर्गत औरोंको दर्यांतरण याने समुद्र प्रवास वर्ज्य और घोर पातक बनाया है, उन्होंने उस वर्ज्यता और पातक कि जरा भी परवाह नही करते उनके हर एक घरके कमसे कम एक पुरुष को मुसलमान मोपले बनाके आरबों के साथ समुंदर मे भेज दिया था. ब्राह्मनोंने स्वार्थ और लालच को हि अहम माना है. ऐसे अपने हि ब्राह्मनोंकि और हिंदू धर्म कि घोर निंदा करने वाले विदारक लेकीन पुरोगामी सत्य महाराष्ट्र के हि ब्राह्मण उजगर कर पाये है. वक्त पर वे हिंदू धर्म, जो अब परदेशी और मुसलमान पैगंबर के खानदान के आर्य वंशीय ऐसे तुम ब्राह्मनोंने एतद्देशीयोंपर मक्कारी से लदी ऐसी केवल खुदकी संस्कृती हि ऐसे सिद्ध हुवा है, और भारतीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश से RSS प्रमुख मोहन भागवत सहित सर्वत्र सर्वमान्य भी है, उस हिंदू संस्कृती याने धर्म कि चीरफाड करने मे जरा भी पीछे नही हटते ऐसे साबित हुवा है. <> इसी के तहत हि महाराष्ट्र के एकनाथ और ज्ञानेश्वर जैसे कर्मठ ब्राह्मनोंमे जन्मे नामचीन ब्राह्मण संत, हिंदू संस्कृती कि मानव मानव मे हि स्पृश्य अस्पृश्यता के भेद स्थापित करने वाली जाती प्रथा को हीन दिखाने के लिये, और जो भारतीय मूलनिवासी अपने आप को ब्राह्मनोंके पैर छुने या उन्हे धुलाने और उनके पैर धुले गंदे पानी को तीर्थ स्वरूप पिने तक खुदका स्वत्व और स्वाभिमान ब्राह्मनोंके पास तह हयात गिरवी रखनेकी मानसिकता वाले लाचार बने है, उनको समानता का पाठ पढाने कि कोशिसे उस कर्मठ काल मे भी करते दिखे है. जब पुर भय्या तुलसी दास नारी और ढोरोंको ताडन के लायक बताने मे अपना पिछवाडा थप थपा रहा था तब महाराष्ट्र के संत एकनाथ काशी से लाया गंगा जल घर के देवोंके अभिषेक के लिये सुरक्षित घर ले जाने के बजाय रास्ते मे मिले प्यास से तडप रहे एक गधे कि प्यास बुजाने उसे पुरा पिलाने मे हि धन्यता मानते दिखे थे. उन्होंने दिखा दिया था कि किसी कि जान से कोई देव बडा नही, और आदमी हो या जानवर, उनमे कोई फरक नही करना चाहिये. संत ज्ञानेश्वर ने तो एक भैंसे के मुंह से वेदोंका पठन करवा के यह दिखाना चाहा कि भैंसा भी वेद संपन्न ब्राह्मनोंके बराबरीका है तो ब्राह्मण क्यो खुदको उच्च समझते है और मूलनिवासी उन्हे उच्च मानके खुदको उनके बराबरी के नही मानते? बादमे भी न्यायमूर्ती रानडे, आगरकर, नामदार गोखले, लोकहितवादी इन ब्राह्मनोंने भी संत ज्ञानेश्वर और एकनाथ जैसे मानव मानव के बीच के जातीभेद कि प्रथा को हीन बताते उसकी कठोर निंदा भी कि थी और उसे खतम करने के प्रयास भी. सावरकर जी ने गोमांस भक्षण का प्रखर समर्थन किया था यह बात तो सारा भारत जानता है. पर उन्होंने भारत मे पहली बार अस्पृश्योंके साथ सार्वजनिक सहभोजन भी संपन्न किया था. अस्पृश्य नेता महान आंबेडकर जी से सावरकर उम्र से बडे थे. फिर भी उनके सन्मान मे उन्होंने एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया था जिसमे किसी जरूर कारन कि वजहसे आंबेडकर जा नही सके थे. हिंदू धर्म को केरला के ब्राह्मनोंने मुस्लीम मोपले बनकर, मुसलमानि बहामनी राज्य के संस्थापक मुसलमान बने ब्राह्मण गंगू और राजस्थान के एक मुसलमान सरदार के प्यारे हिंदू लौंडे से मुसलमान मीर काफिर बने ब्राह्मनोंने तो पैसे और शास्ता बनने कि लालच मे मुसलमान धर्म अपना कर हिंदू धर्म को त्यागा था. लेकीन महाराष्ट्र हि ऐसा राज्य है, जहा पहली बार हरबार मूलनिवासी गैर ब्राह्मनोंकोहि खुद के अनुयायी बनाते दिखे ब्राह्मण जन अस्पृश्य आंबेडकर जी के अनुयायी बने है. उन्होंने हिंदू धर्म कि कठोर निंदा कि है. उन्होंने सार्वजनिक रीतीसे जातीभेद प्रस्थापित करने वाली हिंदूओंकी संहिता टुकडे टुकडे करते जलायी है. और उन्होंने हि हिंदू संस्कृती ने विष्णू अवतार बनाके भी जिनके नाम पर दक्षणा ऐंठना शक्य नही होगा यह जानकर जिसे कालानुरूप इस्तेमाल करने के बाद जनमानस से मानो अदृश्य हि किया था उन बुद्ध भगवान को शरण जा के बाबासाहेब जी के साथ बुद्ध धरम को अपनाया है. ऐसी प्रखर बुद्धिमत्ता, ब्राह्मनोंमे दुर्लभ ऐसी निस्वार्थी और गलत को विरोध करने वाली वृत्ती का आविष्कार केवल महाराष्ट्र के हि ब्राह्मण दिखा सकते है. मनुस्मृती और जातिभेद के किचड मे लबलबाती हिंदू संस्कृती का निर्माण करना और उसे अपने से सौ गुना जादा गैर ब्राह्मण भारतीयों पे थोप कर किसी को संपूर्ण अस्पृश्य तो किसीको अपने पैरोंको हि स्पर्श करने तक कि औकात के अर्ध अस्पृश्य बनाके, उनसे दुरी रखते हुए भी उनके शब्दशः बाप बनके रहना यह किसी ऐरे गैरे गैर ब्राह्मनोंके बस कि बात नही है. यकिनन बहोत पापड बेले होंगे उन्होंने ऐसे विकृत तरीकोंसे सारे गैर ब्राह्मण भारतीयोंके बाप बनने के लिये. महाराष्ट्र के ब्राह्मनोंकी बुद्धिमत्ता से लगता है कि भारतीय मूलनिवासी हिंदूओंके आद्य बाप सुश्री मनु महाराज भी महाराष्ट्र के हि लेकीन पेशवा कि बुद्धी के दुसरे पैलू के ब्राह्मण रहे होंगे, जो सभी RSS से जुडे है. ज्ञानियों तुम तो RSS भक्त हो हि, जिसकी स्थापना भी महाराष्ट्र के हि एक ब्राह्मन ने कि है, जिसके अधिकतम संघचालक भी महाराष्ट्र के हि ब्राह्मण रहे है. फिर मानोगे ना महाराष्ट्र के ब्राह्मनोंका लोहा? भले आद्य शंकराचार्य दक्षिण से होंगे, पर उन्हे भी तो छद्मी बुद्ध याने छिपे बुद्ध हि माना जाता है. याने वे भी उधारी से नामचीन हुए है. बुद्धिमत्ता का पेटंट तो स्वयंप्रज्ञ महाराष्ट्र के ब्राह्मनोंके हक मे हि जाता है. क्या कमाल है, गैर ब्राह्मनोंके उपरके ब्राह्मनोंके विकृत वर्चस्व हर स्तर पर प्रताडने वाले लेकीन स्त्रीशिक्षण के आद्य पुरस्कर्ते फुले भी महाराष्ट्र के, आरक्षण के जनक शाहूमहाराज भी महाराष्ट्र के और ब्राह्मनोंने पहली बार जिनका नेतृत्व मान्य किया ऐसे सबसे कडी करने वाले महात्मा फुले जिंके शिष्य और शाहूमहाराज के आशिष धारी डॉ
• बाबासाहेब आंबेडकरजी भी महाराष्ट्र के. जय महाराष्ट्र बोलू तो बुरा नही मनोगे?
डम डम डमुरे! बोल मेरे जमुरे! कुछ नही ऐसा हि एक विचार मेरे दिमागमे आया के क्यो ब्राह्मनोंने इन झाटों को सर पे बिठाया? अरे उनकी तो केवल एक चोटी होती है जो बहोत छोटी होती है. के
हिंदू इसाई मुसलमान अतिरेकी आम बात है, और क्या उनके उच्चतम मानवियता का सबूत हो सकता है जब उनकी कोई भी अतिरेकी संघटना निशानी
In reply to query of a post may others too help to find answers.<.> If Human Untouchablity is observed by unending torturing of untouchables in India only, is not a vital issue, then overall equality in society is an impossible thing to happen. Dream of unity of Indians is remote. If 33% of natives are separated to suffer ill treatment by their upper castes & OBC colleagues then it is like a game sanctuary reserved for hunting games like in Africa, under guidance & supervision of long old authority, which is dirty inhuman & blemishing for Humanity. When simple human treatment too is impossible for Untouchables, then they too deserve their separate land like Pakistan if they are not of foreign origin or connected with foreign faiths. Irony is originally foreign connected are cause of making them untouchables & making them punishable with punishments more hideous than West Asia regions for falling their shadow too on lifeless belongings too of one of leper' status too, not observed in other parts of world. Probably Brahmans have brought it from there if Brahmans too are of the blood of Islam' prophet Mohammad. It is disgusting if this not a vital issue for all leaders including Mahatma made Gandhi though he claims following of Brahman Mr. Gokhale. Like hammering of imaginary stories brain washed the natives to revere abnormal trades & inhuman system, hammering that abnormality can only help to wipe out it, if untouchables are forced to stay in India, as banning of sea journey for past Hindus. No way!
• एक साला मच्छर आदमी को हिजडा बना देता है <> नाना पाटेकर मच्छरोंको ऐसे गाली मत दे, भारत मे ऐसे हिजडे बने/बनाये गये लोग तो उन मच्छरोंको को हि देव मानते है. १ सही? २ नही?
• एक पोष्ट पर +गुगली ने उठाये सावलोंको दिये जवाब शायद वैसे हि औरोंके लिये भी बोधप्रद हो सकते है इसलिये उन्हे सरे आम पेश कर रहे है.<> इस्लाम द्वेष्टे होने कि डिंग भारत मे सबसे जादा उंची आवाज मे मारने वाले महान कहे गये क्षत्रिय राजपूत और हिंदू धर्म (अब केवल संस्कृती) के सर्वेश ब्राह्मनोंजैसे अन्य किसी भी जाती के लोगोंने इस्लाम या इसा को केवल खुद के स्वार्थ कि पूर्तता करने के हेतुसे ख़ुशी ख़ुशी आपनाया नही था. एक तो तलवार कि नोक पर या पाव (ब्रेड) कि झाक पर या तो धमकाये या ललचाये ऐसे हि उन्हे मुसलमान और इसाई बनाया गया था. उनपे खुद का हिंदू धर्म (संस्कृती) थोपने वाले ब्राह्मण तो उन इसाई और मुस्लीम शासकोंकी हर एक प्रकारकी सेवा मे लीन थे. जब तक शिवाजी ने पेशवा (प्रधान) बनाके तब तक केवल कपट कारस्थान करते हि निठल्ले बैठ कर समय बिताने वाले ब्राह्मनोंके हाथोंमे जबरदस्तीसे तलवार ठुसी नही थी तब तक देवोंकी दलाली के हि ताक मे चिंता मगन पुजारी बने बैठे ब्राह्मण भूल हि गये थे कि थंडे उत्तर ध्रुव से उनकी आर्य टोलिया जब संपन्न भारत कि ओर सरक रही थी तो खाने पिने कि चीजोंकी छीना झपटी मे उन्होंने तलवार चाकू छुरे इनके साथ साथ हत्यार के तौर पर पत्थरोंका भी इस्तेमाल किया था. मुसलमान और इसाई शासकोंकी सेवा मे रत ब्राह्मण जिस हिंदू धर्म के मलिक है उसे अन्योंपे जबरदस्तीसे थोपने मे तो कामयाब रहे थे, पर जब वे अन्य किसी अन्य धर्म मे जबरदस्तीसे धर्मांतरीत किये जा रहे थे तब वे पाल्य के प्रती बेशरम गैर जिम्मेदार पालक कि भूमिका निभाते दिखे थे. उस वक्त उन्होंने अपनी आवाज हि नही उठाई थी. पेशवाई मे गोवध बंदी का कोई फर्मान नही था. अब क्यो नाटक कर रहे है जब कि गोहत्या करने वाले सभी कत्तलखानोंके मालिक केवल ब्राह्मण हि है तो? ब्राह्मण को हम मुसलमान मोहम्मद के रीश्तेदार कहकर उनसे नफरत जताते दिखते है तो इस्लाम प्रेमी हो हि नही सकते यह बात समझने के काबील नही हो या हमारी प्रतिमा मलीन करना चाहते हो? तुम्हारे विषारी प्रचार तंत्र तो नामचीन है. जिसके जरीये कचरे मे पडे कागज के उपरकी गणपती कि प्रतिमा भी दुध पी रही थी ऐसा तुमने १५-२० साल पहले साबित किया था और सारे भारतवासी उसे सच मान बैठे थे. और बहुत कुछ है कहने लायक. लेकीन तुमसे जादा संख्या के ब्राह्मण तुम्हारे जैसे विघातक नही होते विधायक कृती मे विश्वास रखते है और वे मेरे मित्र भी है और समर्थक भी. भारतवासीयोंसे पैर छु और धो लेने मे कामयाब रहे ब्राह्मण यकीनन सारे भारतवासीयोंमे चालाक याने स्मार्ट है. लेकीन सभी पेशवाई के दुष्ट बुद्धी के नही है. इसीलिये जातीय विषमता के खिलाफ आवाज उठाने वाले ब्राह्मनोंकी संख्या हि भारत के गैर ब्राह्मनोंसे कई गुना जादा हि है. महात्मा फुले, शाहूमहाराज, महर्षी शिंदे, कर्मवीर भाऊराव पाटील, गाडगेबाबा इन गिने चुने गैर ब्राह्मण नेताओंके बाद उस औकात के कोई भी नेता या नेती वे उनमे अबतक पैदा हि नही कर सके है. जब कि ब्राह्मण फिल्मस्टार कमल हसन कि अभिनेत्री बेटी श्रुती हसन जैसी ब्राह्मण युवती भी खुले आम हिंदू धर्म को खुनी धर्म ऐसा कहने मे डरती नही. भारत मे अच्छे और सच्चे का दिलसे स्वागत व स्वीकार करने कि क्षमता केवल ब्राह्मण हि रखते है, बशर्ते कि वो पेशवा वृत्ती का ना हो. इसीलिये केवल अस्पृश्य थे इसलिये जिनकि अद्वितीय नेतृत्व क्षमता का आदर करना वे जातीय उच्चता के तहत अपना अपमान समझते है, ऐसे बाबासाहेब आंबेडकर जी का नेतृत्व ब्राह्मनोंने हि प्रथम स्वीकारा था और इतना हि नही तो खुदके पूर्वज ब्राह्मण मनु लिखित मनुस्मृती भी खुद के हाथोंसे जलाकर उन्होंने बाबासाहेब के साथ बुद्ध धर्म भी स्वीकारा था इस प्रखर वास्तव को हि वे नजरांदाज नही कर रहे तो यह भी भूल गये कि उनमे आजतक जो दो चार नामचीन और आदरणीय नेता हो कर गये है, वे खुद अस्पृश्य बाबासाहेब आंबेडकरजी का लोहा मानते थे. दिलदारी आखिर दिलदारी होती है. हर एक के बस कि बात हि नही.
Its relieving that Baniya P.M. Modi has left his wife otherwise his boasted mother India’ fucker Mallya could have proved nastier.
बनियोंका जमाई मल्ल्या मोदी कि मां भारत को ठोक रहा है. अच्छा हुवा मोदी ने औरत को पहले हि छोडा है.
दोस्तो ब्राह्मण ब्रह्मवृंद भारत के दक्षिणी तट के केरल राज्य मे आने जानेवाले अरबी दर्यावर्दी जैसे मसालोंके व्यापार से पैसे कमानेकी लालच मे, हजारो सालोंसे जैसे उनकीही अनुवंशिक प्रोपरटी है ऐसे ब्राह्मण मनु लिखित मनुस्मृती निर्धारित हिंदू धरम को धुतकारके, जैसे ईस्लाम अपनाके मुसलमान मोपला बने वैसे हि भारत कि एक मुसलमान ऐसी बहामनी शाही के वे संस्थापक भी है. उस बहामनी शाही का मुल संस्थापक गंगू नाम का एक ब्राह्मण हि था. इससे इसाई धरम से जादा तो उन्हे इस्लाम हि करीब था, ऐसे साबित होता है. यह इतिहास हमे ज्ञात तो था पर दिमाग से ओझल हुवा था. ब्राह्मनोंने हजारो सालोंसे साक्षरता के एकमेव अधिकारी होने के नाते अन्य भारतीयोंसे सबसे जादा पुस्तके लिखी है. उस स्वार्थी अधिकार के तहत उन परदेशी ब्राह्मनोंने मुल भारतीयोंके उपरके उनके विकृत वर्चस्व को हानीकारक ऐसी सारी बाते छिपा कर केवल उनका महात्म्य बढाने वाली बाते हि हमारे सामने रखी है. अर्वाचीन इतिहास हि नही तो पौराणिक कथाओंमे भी उन्होंने वोही नीती अपनायी है. रामायण कार वाल्मिकी गर पेशेसे एक लुटेरा था तो वोह यकीनन ब्राह्मण नही था. जब उसके साक्षर होने का कोई सवाल हि नही उठता था तो वो रामायण जैसी भारी किताब कैसे लिख सकता था ? रामायण भी ब्राह्मण कि हि निर्मिती है, या वाल्मिकी ब्राह्मण हि था जो दक्षणा के रूप मे मुल भारतीयोंसे बैठे बैठे और धीमे धीमे धन ऐंठने के बजाय एक हि झटके मे जादा से जादा धन लुटने का इरादा करके सीधे लुट मारी के धंदे मे उतरा था. इसी वजहसे उसने ब्राह्मनोंकी मुल भारतीयोंके खिलाफ के तुच्छता पूर्वक नीती के तहत एक शुद्र शंबूक ऋषी को उसके जैसी हि तपस्या कि इच्छा केवल जाहीर करने पर उसके कथा नायक राम के हाथो बेरह्मीसे मरवाया था. भारत मे कलह मय वातावरण कायम रखने के लिये हि वे खुदको इस्लाम के कट्टर विरोधी के रुपमे पेश कर रहे है. वे इस्लाम के प्रेषित मोहमद के खानदान से है, यह बात जैसे छुपाते आ रहे है वैसे हि मोपलाओंकी और बहामनी शाही के संस्थापक का एक ब्राह्मण होने कि बात भी छीपाते आ रहे है. वहा अरबस्तान मे मुसलमान जैसे इसाईओंके कट्टर दुश्मन दिखते है वैसे हि मोहम्मदके रीश्तेदार हमारे ब्राह्मण इसा के खिलाफ है. इसिलिए ईशान्य भारत मे इसाई धर्मांतर को रोकने उन्होंने नानाजी देशमुख जैसे ब्रह्मचारी रथी महारथी उनके मरते दम तक तैनात किये थे, जबकी काश्मीर के सारे मुसलमान बने पंडीत जब फिरसे हिंदू बनना चाहते तो उन्हे हमारे ब्राह्मनोंने हि विरोध किया था. इतना हि नही तो मुसलमान अफझलखान के ब्राह्मण नौकर को काटने वाले जीन छत्रपती शिवाजी को वे गोब्राह्मणप्रतिपालक कहते है, उन शिवाजी के हिंदू से मुसलमान बने बहनोई बजाजी निंबाळकर को जब शिवाजी महाराज ने फिरसे हिंदू बनाने कि सोचा था, तो उसे धर्मविरोधी घोर पाप बताके उनका प्रखर विरोध किया था. शिवाजी महाराजजी ने ब्राह्म्नोंके उस कपट कि जरा भी परवाह नही करते उस वक्त निंबाळकर को फिरसे अपनोंमे लाया था. आज भी सारे ब्राह्मण RSS वालोंके जमाई और जिजाजी मुसलमान हि है. वास्तव सामने लाने का यह छोटा प्रयास. क्या सच मे RSS के ब्राह्मण मुसलमान विरोधी है? हां तो yes ना तो no
Latest verdict of Mumbai High court fined a Muslim for encroaching Govt. land. Are not Muslims only seen encroaching India’ land, including Pakistan & Bangladesh? 1 yes? 2No?
गावरान गंगी तो है बेढंगी. आधी ढकि तो आधी नंगी. चाल ढाल तो फिरंगी पर बतोंमे नही है गुंगी, स्वरंग मे हि रंगी ऐसी गावरान गंगी.
@Islam’ enmity boaster only Rajputs & Hindus’ gods Brahman’ groups of India adopted Islam or Jesus for selfish causes. Others were forced.
@ केवल इस्लाम के कट्टर दुष्मन दिखते हिंदूके मालिक ब्राह्मण व क्षत्रिय राजपूत हि स्वखुशीसे मुसलमान या इसाई बने है.औरोंके साथमे तो जबरदस्ती हि थी. हुई है. १ बातमे दम है? २ या मार बेदम है?
$रामू के मामू
$वैसे कबुतर तो पंछीयोंकी जीवन शृंखला का एक नगण्य जीव है. आसरा लेता भी है वो तो
# मित्र सही और अभ्यास पूर्ण ढंग से इस विषय से भिडे हो. अपनोंको अपमानित और हतोत्साहित नही करना चाहता हु, इस लिये अपने आपको चमार कहलाने का भी हमने गर्व मान लेना पसंद किया है. अब लिंगायत धर्म का भी नयेसे जागर शुरू हुवा है जिसे कोई भी धर्म करके आजतक माना हि नही जा रहा था. अगर बसवेश्वर जी को भी प्रेषित माने जाना है तो उनके जैसे हिंदू संस्कृती को और उसके निर्माते ब्राह्मनोंके निर्मित हिंदू धर्म और देवोंके पूजक होना टालकर बम्मनोंको और हिंदू देवोंको आडे हाथ लेने वाले, गलिया देने वाले शाहूमहाराज और महात्मा फुलेजी तो उनसे सरस साबित होते है. शाहूमहाराज और फुलेजिं का भी तो अलग और अपना धर्म बन सकता है. वे पाखंडी और डरपोक है जो बाबासाहेब, फुले शाहूमहाराज इनका अभिमान जताते हिंदू धर्म और उसके देवोंके गोदमे हि बैठना सुरक्षित समझते है. बाबासाहेब जी के सपने पुरे करने का दावा कर रहे है, लेकीन बाबासाहेबजि ने सोच समझकर उनकी पार्टी का नाम रिपब्लिक रखा था और पुरा भारत बुद्धमय करने का जाहीर इरादा किया था, उससे ये सब ब्राह्मण चुतीये बनाये आंबेडकर वादी कोसो मिल दूर है. इसका मतलब यही है कि वे भी ओबीसीओं के जैसे हि बाबासाहेब जी के गद्दार हि है. अरे झुठे देवोंके भरोसे रहते हो तो जीन बाबासाहेबजी ने तुमपर प्रत्यक्ष अमिट एहसान किये है उनपर और उनके सोच समझकर स्वीकृत भगवान बुद्ध पर विश्वास नही करते हो तो तुम निखालस गद्दार हि हो. वैसे कांशीराम और उनकी चिडिया मायावती को हम इसलिये मान रहे थे कि उन्होंने हमारे जैसी हि बम्मनी नीती अपनाते यु. पी. जैसे ब्राह्मण बहुल राज्य मे पहली बार दलित राज स्थापित किया था. वरना वे खुद भी प्रती आंबेडकर कि प्रतिमा के लालची हि थे जब उन्होंने अपनी पार्टी के साथ मे रिपब्लिक शब्द किसी भी ढंगसे नही जुडाया और बुद्ध धर्म नही अपनाया नही. अस्वस्थ हु इस लिये भाड मे जाये सब आंबेडकर वादी ऐसा कह्ने के बिना कोई चारा हि नही बचा है. बहुत कुछ लिखना है इस बारेमे लेकीन फिर कभी.
Earth or universe runs on 2 main forces. They may be in different forms. But those 2 forces, i.e. constructive & destructive only run the universe & keep the chain of all visible & invisible changes unending. Of course task of destruction has limitations to the extent of destructing, demolishing or vanishing existing objects & things, which can be a structure or a system. While construction’ task is a multi folded job, with options of unlimited designs. With only target of demolishing an existing structure, construction or system, destructing force has to concentrate on that only target. Being it their routine job each participant of that destructing force is not needed to be trained & counselled each time, separately. Hence if compared with constructing force, destructing force’ job is an easy one. To make it simpler to understand, take example of a building. Starting from its construction to its completion owner of it has to counsel many times, with different authorities like Govt; engineers, architectures, masons, plumbers, electricians & furniture makers, who have to work on decided thousands of designs of many families with their members, who are coming to stay or use that building. Of course some times, needy or dull members of that building do not have option to reject whatever imposed on them by the owner or builder of that building. Though destruction or demolition of any dirty or unwanted system seems harder than demolishing any objects or hard copies, yet any alone too expert, who knows exact key or code of that system, can easily corrupt it & can make it vanished or deleted forever like a net hacker. We experience how nature easily vanish existence of any land or nation of whatever developed status & culture, in a second of time, with calamities like Tsunami. A whole village like Dhanushkodi of south’ end of India was gulped by the sea same way. It was an easy job for nature’ destructive forces, but same nature takes long time to spread greenery once again on lands made barren by him. To rehabilitate the distressed victims of nature’ anger in safe places, does no remain an easy job for rescuer teams. Same thing happened in case of India. It is true history that India of East Asia had an oldest & developed civilization. It was ruled by real Emperors, who ruled thicker populated kingdoms than world’ west thin populations’ region’ so called great Emperors. One of the Indian Emperors, Chandragupta Maurya had won Greece’ princess too. Emperor Asoka the great had fleets of ships to travel to Srilanka for introducing Buddhism there. Comparing with western world’ so called cruel seen emperors, they were humanly too. They cared for their subjects, facilitating them with all civil requirements & amnesties. Emperor Asoka put down his sword when he witnessed massacre of opponent’ soldiers in his won great war of Kalinga, and became ambassador of peace, following pioneer definer of world’ peace, Lord Buddha. If he had not put his sword down & had worked for imposing Buddhism like later born crusade fighter Abrahmic religions of barren & hot region of Western Asia, chances of births of all Abrahmic religions, which later imposed their crusade fighting faiths, were not possible. It is remarkable to mind that, still fighting is on among peoples of all those hot & barren land’ faith’ peoples only. Emperor Harsvardhan was famous for his still unmatched charity. He used to borrow help from his sisters for helping needy & poor peoples of his kingdom. India was not vulnerable for raiders who mostly were from western Asia. Having such plus points it is very sad to mention that India was first ruled for 800 years by foreign’ invaders Muslim Kings & then by all European counties including tiny Duchess too. After Muslims, British ruled for 300 years. Thing to be noted here is that both Christians & Muslims are of faiths of Abrahmic religions. How past ‘strong & culture wise too rich India was made such poor & vulnerable? From last era’ all only Buddha follower Indians, how India is now being shown as nation of Hindus? Hindu or Hinduism which was & still is being imposed as a religion, is the reason behind such vulnerable made India. It is destructive force which destroyed strong unity of native Indians. After a long period of about 2-3 thousands of years, recently Indian Supreme court has passed verdict of cancelling religion status of Hinduism. It has declared Hinduism as a simple culture. From its beginning Brahman peoples’ community of India are heads of Hinduism, with reservation of posts of its priests & head priests exclusively for them. Naturally that culture or life style must be their own. Founder of Hinduism culture are Brahman. Through Hinduism ‘manifesto like book Manusmruti, from man’ birth to death of anything & everything, all activities of native Hindus are made controllable only by Brahmans. Till the arrival of British in India, Brahmans had preserved right of education or to be literate exclusively in their possession. Till British opened education for grass root ‘natives too, Brahmans had kept their kings too illiterates. It was imposed on natives’ minds that the script they used was them owned god’ gift, which natives were imposingly taught to revere most leniently. Obviously Manusmruti was written by a Brahman, named Mr. Manu. Irony is today too highly educated natives too do not wish to erase its impression as god’ from their minds, though sparing Brahman completely, its dirty rules & regulations are strictly binding on them only. Hinduism’ culture has divided all Indians in 4 main groups, called castes. Each caste is awarded certain importance in descending order. Out of which only one group is exclusively of all Brahmas. Obviously that group or caste is awarded greatest Importance than other 3 castes. Manusmruti has defined Brahmans as next to god & masters of all natives deserving all types of free services from them. Introduction of system of Untouchablity among same type’ men, is its unique & worst speciality. Peoples of its bottom caste’, who are of population of 33% of all Indians, are made untouchables to all, from other 3 castes. Rules of that Untouchablity are so severe that falling of any untouchable’ shadow too on any of their above caste was deemed as a great sin, making them punishable with punishments like removing of their eyes, putting melt lead in their ears, nostrils & beheading. They were offered most barren land out side & far away from village. Duty of cleaning others’ dirt was imposed on them, where under they had to carry away any dirt on their heads to dispose it off, outside of village. Peoples of other 2 castes below Brahman too are otherwise untouchables for Brahmans, as they were permitted to touch any leper status’ too Brahman’ feet only. Renowned Marathi King Shivaji was from a caste next below to Brahmans. To pull natives once again toward them, his photos & images are now seen used by Brahmans’ organization named RSS. Most disgusting thing is, on ceremony of his coronation local Brahman priests had denied to perform @rituals deciding him illegible as a king, for his caste wise lower status. As a part of ritual of that holy coronation, instead of offering blessings by his hands, an outsider Brahman priest named Gagabhat too preferred to touch his forehead with thumb of his left feet, though he was awarded heavy donation by king Shivaji. Making them enemies of each other, Brahman introduced caste system dirtily tattered past golden era’ strong unity of natives. Naturally torn more than thousand pieces, Indians could not oppose any foreign invader raiders’ small but united gangs of soldiers. Irony is Hinduism heads & priests Brahmans were never seen as warriors or fighters till King Shivaji had thrust sword in their hands in mid of 17th century. Naturally they were proved useless to protect their formed Hinduism & its obsess made native too. Except voluntarily Muslim Mopalas of India’ Kerala state & elite Indian Christian became Brahmans, today’ all Indians, who are either Muslims or Christians are generations of natives whose forefathers were forcibly converted, by foreign raiders. Mopalas were Hinduism’ founder Brahmans who attracted of spice’ trade of Arab sailor’ income, had adopted Islam voluntarily like elite Indian Christians. One Brahman named Gangu had adopted Islam & had founded one more kingdom Muslim kingdom named Bahamani and had continued torturing of native Hindus like other Muslim kings did. Who are these Brahmans? Like fair coloured Europeans, Brahmans too are only Indians of pure Aryan blood from all Indians. After settling first in different parts of Europe, few gangs of nomadic Aryans moved further toward west Asia through Turkistan. Settling there too, some gangs moved further to enter India, by crossing its border’ river, named Sindhu. They are Brahmans of India. Their nomadic style’ identity as Sindhu river crosser for their colleagues Aryans remained stuck with them. Pronunciation of letter H is made like letter S too in India’ some languages. Hence word Sindhu became Hindu & their own life style or culture started to be recognized as Hinduism, which they falsely imposed as a religion on natives, impressed of their nomadic smartness & fair colour. They are like those dull needy customers gutless to oppose the builders in suitable period & who enjoy whatever imposed on them by destructive or selfish builders. When emperors like Asoka the great had fleets if ships in his army Hinduism imposed ban on crossing sea, due to which none from proven darer natives had to loose their golden chances of becoming any Columbus or captain Kook. Being next to gods for natives, they are only authority to collect or demand any gifts & donations like one’ wife too, called Dakshana, from natives. Dakshana is the only source of income for Brahmans to maintain their luxurious & labour less life style. Hinduism’ obsessed made natives were & are means for pompous, luxurious & totally labour less life style of Brahmans. Hence though Brahmans are crystal clear least bothered of their Hinduism, they try harder to maintain its impression intact as a holy religion on its obsessed made natives, though Indian court has cancelled its religious status. Are not Brahmans ashamed of their such abnormal destructive nature? Let me clear that Brahmans were & are only 3, ½% of total population of Indians. It must be accepted that they only are smartest Indians. It may be due to greedy nature of North Pole’ emerged frozen nomadic, who did not bother to kill each other for snatching some thing by others. Cheating & snatching is in their blood. But yet after all being human Europeans did not remain same though Western Asia’ could not develop good habits. Burning western Asia is vivid example of it. Probably Europe’ coolness helped to make Europeans cool. Brahmans last abode too was in that hottest West Asia. That’s why they could hideous punishments like exhibited by all terrorist groups of west Asia, on their strong opponents’ made untouchable natives. Preservation of right of education too helped them to develop their skill of cheating though snatching was made civilized through system of extracting Dakshana. They are not to be blamed for their abnormal dominance. They are the natives who accepted them as masters & now being educated too do not dare to challenge them or blame them for keeping them illiterate for more than thousands of years. In this most civilised world natives still believe that untouchablity is order of gods. Still they enjoy torturing of untouchables. Who will like to loose control of such obsessed peoples?
आंख और अक्कल के अंधे, मेरी पोष्ट मे यह स्पष्ट है कि तुम ब्राह्मण इस्लाम के प्रेषित मोहम्म्स के खानदानी खून से जुडे हो. भारत मे सम्राट धनानंद के विरुद्ध उसके हि अनौरस पुत्र चंद्रगुप्त को फुसलाते ब्राह्मण चाणक्य से लेकर आजतक ब्राह्मनोंने मूलनिवासीयोंसे गद्दारी का हि परिचय दिया है. शिवाजी पे जानलेवा हमला करने वाला कुलकर्णी भी मुसलमान अफझलखान का हि वफादार नौकर था. जिसकी प्रतिमा ब्राह्मण RSS ने केवल स्वार्थ के लिये हि झुठ से गोब्राह्मणप्रतिपालक ऐसी प्रोजेक्ट कि है, उनही छत्रपती शिवाजी ने कुत्ते जैसा काट दिया था उस मुसलमान अफझलखान के वफादार ब्राह्मण को. शिवाजी के शेर बेटे संभाजी को नशेबाज बनाके कपट से क्रूर कर्मा मुसलमान औरंगझेब के हवाले करने वाला कबजी (कविजी का अपभ्रंश) कलुशा (कळस का अपभ्रंश) भी एक ब्राह्मण हि था. औरंगझेब ने संभाजी को दोनो आंख निकाल कर निर्दयता से मार दिया था. शिवाजी के लढवय्ये खानदान मे दुही रचा कर भारत का वो एकमेव मराठा राज्य कपट से हाथिया लेने वाला पेशवा भी एक ब्राह्मण हि था, जीसने बाद मे भारत का वो एकमेव और गौरवशाली मराठा राज अपनी विकृत हरकतोंसे लज्जास्पद रिती से अन्ग्रेझोंके हवाले कर दिया था. लिखा पढी के एकमेव अधिकारी ब्राह्मनोंने महात्मा गांधी के खुनि नथुराम गोडसे का उदात्तीकरण करके उसे जैसे प्रशंसनिय बनाया है, वैसे हि गद्दार चाणक्य से लेकर वैसी हि गद्दारी का परिचय देने वाले सारे ब्राह्मनोंका इतिहास उन्होंने खुद के लिखने के हुनर से निष्कलंक बनाया. वैसे किया तो किया उसके उपर एक ब्राह्मण साहित्यिक बालकवी ने शेर छत्रपती संभाजी के बारे मे गलत सलत लिख के उसे भी बदनाम किया था. नसिबसे अब तो मराठी जन जागृत हुए और उन्होंने उस बालकवी का सार्वजनिक उद्यान का पुतला उखाड कर फेक दिया. भारतीयोंके सम्राटौंसे लेकर, सामान्य भारतीयोंको भी मोफत के श्रेणीबद्ध सेवक बनानेका षड यंत्र रचाने वाले ब्राह्मण, प्रेषित मोहम्मद के पोते मुसलमान हुसेन कि लढाई लढने वफादारी से मक्का तक भी दौड कर गये थे. उस मदत के लिये हुसेन ने उन्हे हुसेनी बम्मन कहके उनकी प्रशंसा कि थी. भरत के केरला स्टेट के मोपला भी दर्यावर्दी मुस्लीम आरबोंके समुद्री व्यापार का हिस्सा पाने लालच मे मुसलमान बने ब्राह्मण हि है. उनका वो घोर पाप प्रथमतः एक ब्राह्मण स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी ने हि उजागर किया था और उसकी घोर निंदा भी कि है. आज भी गोहत्या के लिये मुसलमानोंको सारे भारतीयोंके दुष्मन बनाने वाले बडे संघी ब्राह्मण नेताएं, उनके जमाई या बहनोईयोंके रूप मे किसी मुसलमान को हि पहली पसंती देते है. कॉंग्रेस कि एक ब्राह्मणी शीला दीक्षित का भी जमाई एक मुसलमान हि है, जो अभी इस उमर मे उसे और उसकी बेटी को कोर्ट मे नचा रहा है. तो अब बता कि इस्लाम के करिबी कौन है, और सबसे पहले स्व मर्जी से इस्लाम अपनाने वाले ब्राह्मण हि नही है क्या? बार बार यह बाते उजागर करने के बावजुद तुम्हारे हाथ कि घंटी तो बजती है, पर दिमागकी घंटी बज हि नही रही है. हम सच्चे भारतीयोंके लिये, ब्राह्मण भी मूलतः जिस सहारा रेगीस्तान के है, उसी रेतीले गरम परदेस मे जन्मे ज्यू, इसाई और इस्लाम धर्म से इस भारत के हि बुद्ध, महावीर और गुरुनानक जैसे नीतिमान और मानवी धर्म संस्थापक व प्रेषित उपलब्ध होते हुए कौन मूलनिवासी ब्राह्मनों जैसे ख़ुशी से मुसलमान या इसाई धर्म अपनायेंगे? वे तो जबरदस्तीसे मुसलमान या इसाई बनाए गये थे, यह सत्य है. ब्राह्मनों जैसे अस्पृश्य लालची होते थे तो महनीय अस्पृश्य नेता आंबेडकर जी के दरवाजे पर पैसोंकी बोरिया लेकर बहुत सारे पदरी और मुल्ले उनको अपने धर्म मे खिंचना चाहते थे, तब स्वार्थ के लिये ब्राह्मण जैसे मुस्लीम मोपला बने या रेव्हरंड टिळक बने, वैसे आंबेडकर जी भी सारे अस्पृश्योंको मुसलमान या इसाई बना कर खुद मालदार बन सकते थे. उन्होंने उन रेगीस्तानी धर्मोंको और वही के मूलनिवासी ब्राह्मनोंसे छुटकारा पाने के लिये मूलनिवासी बुद्ध के धर्म को हि सर्वोत्तम माना, और अपने लोगोंको बुद्धिष्ट बनाया. अगर वे वैसा नही करके ब्राह्मण मोपालों जैसे इस्लाम अपनाते थे तो ब्राह्मण तो खुश हि होते थे. पर भारत का भी सिरीया और इराक बनता था, और अन्य भारतीयोंकी परेशानीया बढती थी, जिसकी परवाह ब्राह्मण नही करते थे. सबसे बडा एहसान और योगदान है बाबासाहेबजी का भारत कि आजकी जो कुछ अंशतः खुशहाली है उसके लिये. RSS तो स्वातंत्र्य युद्ध के दरम्यान अन्ग्रेझोंसे इस सौदेबाजी मे व्यस्त था कि भारत छोड के जाने का मन बनाये अंग्रेज भारत को कैसें फिरसे ब्राह्मण पेशवा के हवाले कर सकते है. विभाजन के वक्त बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भी सारे मुसलमान पाकिस्तान मे भेज दिये जाये और वहा के सारे हिंदू हिफाजत से भारत में लाये जाये ऐसे बजाया था. लेकीन तब भी ब्राह्मण नेहरू और बनिया महात्मा गांधी ने हि आजके ब्राह्मण संघी और बनिये मोदी एंड कंपनी जैसे उनकी बात मानी हि नही.
किसी ने Google + पर सच कहा है कि हम भाषा शुद्रों जैसी इस्तेमाल करते है. निहायत शरीफ बाबासाहेब मे यही कमी थी. वे अगर आज के जैसी गाली गलोच वाली भाषा झुठे और निहायत स्वार्थी ब्राह्मनोंका पर्दाफाश करने मे इस्तेमाल करते थे, तो वे और कामयाब होते थे. कलका लवण्डा महाराष्ट्र का फडणवीस मयत माजी मंत्री आबा याने RR पाटील को मंच पर खुले आम अपमानित करते देखा है. छुम्मक छल्लो ७ वी फैल स्मृती इराणी कि उसके बाप जैसे मनमोहनसिंग जी को चुडिया पहनाने कि बाते करता देखा है. क्या औकात है इन छटाक भर ब्राह्मनोंकी कि वे किसीका भी ऐसे अपमान करे? जिसके पीठ मे कणा याने स्पाईन हि नही था ऐसे चमार जगजीवनराम के बेटे सुरेश के साथ जिसकी नंगी फोटो सारे आम हुई थी वो बम्मनिया सुषमा स्वराज को जब नैतिकता कि बाते करते देखते है तो उनकी नैतिकता के बारेमे घृण हि पैदा होती है. बाबासाहेबजी कि इस अनैतिकता को शर्म और खानदानी साच्छिलता के मारे निंदनीय कहने कि हिम्मत नही हुई उस जरुरत कि कमी को दूर करना मेरा फर्ज बनता है. गैर ब्राह्मनोंको तो अभी आरक्षण शब्द भी ठीकसे लिखना नही पढाया है इन बम्मनोंने. इसका मतलब आरक्षण के विरोध मे फुसकी लगाने मे बम्मनोंका हि हाथ है. साले कब बंद करेंगे कलह पैदा करना?
If India’ supreme court’ culture declared Hinduism abused humanity by starting Untouchablity, then to abuse Hinduism is right of all sufferers of it.
If only for his untouchable’ status, Hindu’ lord Rama murdered meditation wishing hermit Shambuk, then Ram is abusable for untouchable Indians.
If Lalu Prasad really wish to fuck P.M. Modi, then to cut his Hindu culture’ supporters’ source from fighter Yadavas he must make them Buddhists.
कोई कह रहा है कि महावीर बुद्ध से पहले पैदा हुवा था. उस मुनी को प्रणाम. लेकीन रामायण महाभारत जैसी काल्पनिक, अनैतिक घटनाओंसे भरी और बालबुद्धी को रीझाने वाली झुटी बाते अब तो बंद करो. बुद्ध महावीर के पहले पैदा हुवा था. डरते हो उससे इस लिये महावीर के बजाय बुद्ध को विष्णू अवतार बनाया गया. ऐसी हि चुतीये बनानेकी खासियत से चुतीये भारतीयोंको कागज के भी गणपती प्रतिमा को दुध पिलाने लगा दिया था.
बखर लिखते बैठो खबर तो हम जरूर लेंगे. गढे मुर्दे तुम जगावो कबर तो हम जिंदा मुर्दोंकि खुदवायेंगे. नझारा नामाकूल है गर तो हमे भी हम दफनायेंगे. लेकीन जब तोप सम्हाली हि है तो उसे हम हि दागेंगे.
दुनिया के सबसे जादा पढे लिखे सज्जन डॉ. आंबेडकर का चेला हू. गलिया देना या औरोंको बम्मनों जैसे चुतीये बनाना उनके स्वभाव मे नही था. वो जरुरत कि कमी मै दूर कर रहा हु.
इंदिराजी ने जिती १० हजार चौरस मिल जमीन बंगला देश को देने वाले मोदी के बाप कि थी क्या वो जमीन? स्वातंत्र्य युद्ध मे भगतसिंग जैसे एक भी RSS के ब्राह्मण, मारवाडी और मोदी के बनिये ने फांसी का फंदा अपनाकर कोई बलिदान नही दिया है. १]अदानी को याकीनन दुबा देने वाला कर्जा दस हजार करोड, २] अंबानी को १५ हजार करोड, ३] IPL घोटाले बाज ललित मोदी को ३० हजार करोड के साथ और उसकी प्रेमिकाए मंत्री गण श्रीमती सुषमा स्वराज और वसुंधरा बाई सिंदिया के प्रेम के साथ रिहा किया, ४] किंग फिशर वाले विजय मल्ल्या को १३ हजार करोड रु. के साथ शानसे विदेश भेज दिया,५] इंदिराजी ने जिती १० हजार चौरस मिल जमीन बंगला देश को दे डाली. @ मोदी के बाप कि थी क्या वो जमीन और कॉंग्रेस के कथित घोटालोंसे कई हजार पट जादा बख्शां गया पैसा?
xx मे तो दम नही. फिर भी अपने दावूद भाय के भरोसे बातौले बाज बनिये जो दम भरते है, उससे किसी गरीब कि चड्डी तो पिली हि हो जाती ही. अभी अभी बनिया मोदी अमरिका के ट्रंप भाय को चायना कि सुपारी देने गया था. आया तब पाया कि चायना ने सिक्कीम मे तो उसके साथ अमित शहा कि भी चड्डी केवल पिली हि नही तो लाल भी कर डाली है. अब इस्राईल के भाई के पास भी गिड गीडाने जा रहा है बनिया. उसके दक्षणा दलाल कठपुतलीए बम्मनोंने अपनी भी इज्जत वैसी हि लुटी ना जाये, इसलिये खानदानी ठुकावू और सारे भारतीयोंमे सबसे बडे पीछवाडेवाले पाये जानेवाले केवल बनीयोंकोहि ऐसे कामोंके लिये चुना है. एक चड्डी भास्कर तो दिल्ली छोडकर भागकर गोवा हि चला गया. वो वहा जाने के बाद हि मुछे बढानेकी कोशिश करता दिख रहा है.
Mid night’ event is specialty of Baniyas. If Modi’ wife was with him instead of others he was sure to weep.
Modi’ drove away wife only can put light on space between his two thighs. Curious to know of the size of crave.
Whole RSS/BJP has not a single patriot. If Modi’ left wife stuck him back, it may be patriotic to vanish him to save nation.
After their false’ charm is over

It is surprising when so called Hindu religion, which has no more status of any religion, as it is recognized & stamped as a mere Hindu culture, by India’ Supreme court & when knowledgeable Indian leaders, who abusing that Hindu culture’ world’ unique system of human Untouchablity introducing & rooting dirty caste system, are seen criticizing Hinduism’ introducing & mastering Brahmans’ community’ abnormal dominance only. If that caste system is baby of that Hindu culture & if through that Hinduism’ culture, which was imposed as a best religion of the world by its agents like Swami Vivekanand in the past & by Shri Shri Ravishankar & others like vulgar Baba Ramdev & like them, India’ natives were seen made addicts or sick of revering Brahmans as gods & priding in getting chance of touching feet & sipping any leper status’ too Brahman’ foot washed liquid, as holy water, then to criticizing Brahmans’ dominance, named Brahmanyavad only, is either sign of their fool dullness or they are sheer pretentious like rest of Indians, obviously made by Brahmans from last 5000 years. If they are real gutsy & bold & really wish to project their images as impartial & dirt abusing, then they are bound to abuse the Brahmans rooted culture of Hinduism which is base of their abused abnormal dominance of Brahmans. Brahmans’ rooted Hindu culture only is like crunches of foreign origin’ & only 3, ½% of all Indians’ population’ disabled shape’ Brahmans’ such abnormal dominance among large numbered native Indians. It is notable that except Brahmans, still none of the so called leaders from native Indians has shown bold guts to burn Hindus’ most revered oldest book Manusmruti, which has formulated rules of Hindu culture & has made compulsorily to be observed, exclusively by natives. Mr. Manu himself was a Brahman & Manusmruti is known as manuscript or constitution of Hinduism. From mentality of natives & their past kings or later leaders, it is disgusting to mention here & to end this post, that smallest number’ foreigner Brahmans are most deserving to continue their imposed 5000 years’ abnormal dominance over large numbered natives, if they only are seen inventing unique caste system succeeding in making large numbered natives dull & of their feet wash water sippers’ eunuch’ quality & yet after realizing dirt of their formed Hindu culture, many of them only are seen bold gutsy & on the front among large numbered natives, to abuse Hinduism, to burn its manuscript Manusmruti, to accept as leader to an untouchable but world’ most y educated leader Dr Babasaheb Ambedkar & to adopt world’s oldest & pioneer peace defining true Indian religion Buddhism, following Ambedkar. # 1 bitter? 2 better? Or gutter?
HAPPY BIRTH ANNIVERSARY OF KING SHAHU MAHARAJ TO ALL, WISHING INCLUSION IN SOCIAL RESERVATION!
At last, though with pretentious & selfish intention, Brahmans seem have decided to forget & ignore their serious abusing by Great Maratha king Chhatrapati Shivaji’ heir Great Shahu Maharaj & started to remember him too like Shivaji, by publishing his picture today, on his birth anniversary. Friends wish you all happy birth Anniversary of King Shahu Maharaj. Because of exposure of Brahmans most selfish & dirty inhuman untouchablity rooting mentality, by Shahu Maharaj through out his life time, Brahmans have developed hatred against him from very long back. They used Shivaji’ image to attract Indian Hindus, but never praised his heir Shahu Maharaj till today. They included Shivaji’ name in their RSS’ morning prayer, but intentionally ignored Shahu Maharaj, & made people from Shahu Maharaj’ community too to ignore him. Shahu Maharaj is the first who understood dirty effects of rooting of human untouchablity, introduced through Hinduism, owned & mastered by foreign origin’ very small numbered Brahmans. Divisions of native Indians through Indian caste system has made natives scattered & India vulnerable for first Muslim raiders & then Europeans. Shahu Maharaj is the father & originator of social reservation, intended to improve standard of living of untouchable decided & downtrodden native peoples of India, to make them equal with others. Of course he too is from natives unlike Brahmans. Inspired by his act only his Indian constitution maker untouchable pal Dr B.R. Ambedkar included that social reservation in Indian constitution. Irony is Dr B.R. Ambedkar’ name is included in Brahmans’ RSS organization’ morning prayer though with pretentious intention, while Shahu Maharaj is still avoided. Any way let me congratulate the Brahmans, by trying to forget unending pains of their his that solid kick’ still tattered ass, remembering him, though due to pressure of continuous strokes of many like me over this issue. Other wise too for their long foresighted selfish gain of any vulgar or society tattering type, by confusing the people or by showing that insult as their win, they are proved expert in covering their any serious insult too. With that skill only they made Indians to over look the killing of Indian army’ men in Kargil war of their last govt.’ tenure & bold shamelessly imposed mere extraction of Pakistan’ army from its encroached Indian land as a Victory Day. Joke is, Pakistan’ that solid kick on India’ ass in Kargil is seen accepted too as a Victory Day, by their dull made Indians. Thanks to Brahmans, their formed & mastered organization RSS, their pet political party BJP & those pets’ head dog Indian P.M. Modi for remembering that really great Shahu Maharaj from now. HAPPY BIRTH ANNIVERSARY OF KING SHAHU MAHARAJ TO ALL, WISHING INCLUSION IN SOCIAL RESERVATION!
Humanly & most gentle Americans & Europeans apologized to native Red Indians, for encroaching in their home land American continent. They apologized to Japan too for ferocious bombarding on Nagasaki & Hiroshima. Can not Indians demand apology from Indian P.M. Modi & his ministry [A]for not fulfilling pre L.S. election promises, like crediting of Rs.1500000 in all Indians’ bank accounts, by forcing them all to open accounts in banks[B] for not bringing single penny from his alleged any black money’ accounts in foreign countries, [C] for killing peoples in queues of changing of old currency [D] for dramatic exhibiting of his old aged mother too in lines of currency change [E] for increased army attacks by Pakistan, [F] for sanctioning thousands of crores of loans from Indian Reserve banks to his states businessmen only, one of whose father has openly confessed his crime of oil smuggling & all are defaulters of banks for duping them, [G] for deceivingly collecting minute data too of all Indians, with ill intention of direct control on their private life & of hammering them with verbal or text messages of party propagation & false rumors like Hindu god Ganesh‘ paper images too drank milk,[H] for changing costly costumes at every minute at the expense of revenue collected from Indians & [I] divorcing his school teacher wife & boasting of empowerment of women & teacher & [J] for touring whole world without wife’ company, [K] for sending IPL scammer Mr. Lalit Modi, & Liquor Don Mr. Vijay Mallya out of India with arranged warm sendoff ceremony in company of hot babies like central minister Miss Sushma Swaraj & Rajasthan’ C.M. cute princess Miss Vasundhara Raje Shinde ? 1 yes 2 no /@ mere culture announced Hinduism’ creators & masters Brahmans [a] for dividing native Indians in thousand groups, [b] for making human untouchables to each other by Hinduism’ dirty caste system,[c] for making India vulnerable by dividing its peoples’ unity, [d] for using natives all standards’ free slaves in their home land, with help of their rooted caste system, [e] for banning them to cross sea, while they did it by becoming Muslim Mopalas & kicking off prestigious made their own creation Hinduism, for natives, [f] for extracting money in the name of Dakshana, as offerings to their fancied established Hindu gods, from natives,[f] for serving more loyally to all foreign rulers of India & ditching to native emperors & kings like Dhananand with help of his step son Chandragupta by Chanakya, Maratha king Shivaji by Peshva & Muslim knight Afazalkhan’ servant Kulkarni & Shvaji’ son king Sambhaji by Kavi Kalash & [g] for intending to rule natives again like Peshava, by disallowing the natives to unite now too, though Brahmans themselves are very small numbered foreigners & exclusively of Aryan blood, in India? [h] for using skilled fool maker Mr. Modi from defamed blood sucker Gujarati Baniyas to fool? 1 No 2 Yes
Irritating thoughts are not new or uncommon/ new in smallest brain too. They work as purifier of soul. But sop them from coming out to maintain purity.
हमारे ब्राह्मनों जैसेहि आर्य वंशीय आर्य खून के लेकीन सज्जन और मानवीय सोच का प्रत्यय देने वाले योरोपियन और अमेरिकन लोगोंने अमरिका मे उनके अतिक्रमण के लिये वहा कि मूलनिवासी रेड इंडियन जनता से जाहीर माफी मांगी है. वैसे हि उन्होंने जापान के हिरोशिमा व नागासाकी इन शहरोंपर दुसरे जागतिक महा युद्ध के दौरान बरसाये अणुबॉम्ब से वहा पर जो ताबाही मचाई और अनन्वित नरसंहार हुवा उसके लिये जापान कि जनतासे भी जाहीर माफी मांगी है. उन योरोपियन अर्यों जैसे हि हमारे आर्य वंशीय ब्राह्मण भी भारत मे घुंस आये पहले अक्रमक मुसलमान और उनके बाद के अंग्रेजों जैसे मुलतः रेतीले सहारा मुल्क से सिंधू नदी पार कर के भारत मे आये परकीय हि है. वे इस्लाम के प्रेषित मुहम्मद के खानदान के खून के भी है. वे मुहम्मद के पोते हुसेन कि वहा कि सत्ता के लिये शुरू किये जंग मे उसका साथ देने भारत से अरबस्तान के करबला मे भी गये थे. उनकी वो मदत के लिये बदले मे हुसेन ने उन्हे “हुसैनी बम्मन” कहते उनकी तारीफ कि थी. वे उस वक्त भी सारे भारती योंमे केवल ३, १/२% कि आबादी वाले थे और आज भी उतने हि है. फिर भी सारे भारतीयोंके वे पहले तो केवल धार्मिक मुखिया थे, जो आज भी है, और बाद मे पेशवाई के तहत राजकीय मुखीयेके भी लाभ चखने के बाद स्वल्प संखीय होते हुए भी सारे भारतीयोंके सर्व सत्ताधारी बनने के लालची दिख रहे है. ना उनका और ना तब वे हि साक्षर होने के एकमेव अधिकारी होने के नाते उनकी रामायण महाभारत जैसी सारी धार्मिक पर काल्पनिक कथाओं के जरीये प्रस्थापित देवोंका कोई भी योगदान मुसलमानि आक्रमकोंको रोकनेमे रहा ना अंग्रेजीयोंको. स्वातंत्र्य युद्ध मे भी उनका कोई बलिदान नही है. भारतीय जनोंसे दक्षना ऐंठने के शिवाय उन्होंने कोई स्वार्थ त्याग भी नही दिखाया, जब कि सारे परकीय अक्रमकोंकि सेवा मे वे जादा इमानदार दिखे है. क्यो न वे एक बार सज्जनता का और मानवता प्रदर्शन करते हम मूलनिवासी भारतीयोंसे नीचे दिये उनके अपराधोंके लिये उनके अंग्रेजी भाई बंदों जैसी हि माफी हमसे भी मांगे? a) हिंदू यह एक जीवन पद्धती या संस्कृती याने कल्चर हि है, जो उनकी खुद्की है, जीसे भारतीय सर्वोच्च न्यायालयने धर्म नही है, ऐसे अब बताने तक वो छुपाया हुवा राज भारतीयोंको पहले कभी बताया नही. b) उस हिंदू संस्कृती के तहत दुनिया कि गंदी लेकीन अनुठी जाती प्रथा को स्थापीत किया. c) इंसानोंमे पहली बार छुत अछूत कि भावना जागाई. d) उस जाती प्रथा के तहत अछूत बनाये मूलनिवासीयोंकी केवल छांव भी किसी भिकारी भी गैर अछूत के कपडे पर भी गिरनेसे उस अछूत के लिये उसके गुप्तांग भी काटनेकी, कानोंमे पिघला शिशा डालनेकी और सर काटनेकि सजा को अधिकृत बनानेकी क्रूरता दिखाई. d) केवल अपने हि समूह कि अलग और सर्वोच्च जात बनाते भारतीय मूलनिवासीयोंको हि तीन हिस्सोंमे तीन जातीयोंमे विभाजित किया.e) जब अन्य लोग सागर साहस करते अमरिका और ऑस्ट्रेलिया आदि खंड धुंड कर वहा कि संपती कि लूट कर रहे थे तब असामान्य साहसी भारतीय मुल निवसियोंके लिये धर्म के नाम पर समुद्र पर्यटन वर्ज्य और पाप जाहीर किया. f) समुद्र पर्यटन पाप है ऐसे थोपे गये हिंदू धर्म के नियम के प्रभाव मूलनिवासीयोंपर अखंड रहे इसलिये भारत के समुद्री तट के केरला मे मासालोंके बेपार के लिये आनेवाले नाविक अरबों जैसे समुद्री बेपार से मिलते पैसोंकी लालच मे अपने घर के पुरुष्योंको अपने हि रचाये हिंदू धरम को छोड कर नामके लिये मुसलमान मोपला बना दिया, जीन्होंने बाद मे फिरसे हिंदू बनना पसंद हि नही किया और अब अतिरेकी मुस्लीम संघटन इसीस के म्यानपॉवर के मुख्य स्त्रोत बने है. g) सम्राट नंद के अनौरस पुत्र चंद्रगुप्त के सहारे नंद से धोखाघडी करने वाला चाणक्य, मराठा महान राजा शिवाजी पे जानलेवा हमला करनेवाला कृष्णा या भास्कर नामका मुसलमान अफझलखान का सेवक कुलकर्णी, शिवाजी पुत्र संभाजी को कपट से दारू पिलाके क्रूरकर्मा औरंगजेब के हवाले करने वाला पंडीत कवी कलश से लेकर शिवाजी स्थापित भारत के एकमेव मराठी राज्य को कपट से हाथियाने वाले और बादमे लांच्छनास्पद पद्धती से उसे डूबो देने वाले पेशवा, इन सभी ब्राह्मनोंने मूलनिवासीयोंसे गद्दारी हि करके इमानदारी दिखाई हि नही. h) जनम से लेकर मृत्यू तक के सभी संस्कारोंको ब्राह्मण कि उपस्थिती और उनको जो मांगे वो दक्षणा देना मूलनिवासीयोंको बंधनकारक बनाया. i) दक्षणा के रूप मे ब्राह्मण को किसी भी मूलनिवासी कि पत्नी या बेटी या कोई भी महिला कि मांग करने का अधिकारी बनाया. j) को के
विकृत विचार छोटेसे छोटे भेजे मे भी आते है. वे अच्छे दिमाग के लिये शुद्धीकारक हि होते है. बस शुद्ध पानी के जैसे अपने प्रकट विचारोंसे उन्हे बाहर मत आने दो.
# किसी एक ने भगवान बुद्ध भी ब्राह्मण होने का बताते मेरे ब्राह्मण विरोध को ललकारा है. उसके तृष्टी के लिये प्रकट विचार और वैसे हि अन्योंके भी दिमाग मे प्रकाश डाल सकते है, यह सोचकर हि उनको आम भी कर रहा हुं. # विज्ञान के तहत मानव जाती कि कि तीन नस्ले है. १ बारीक आंखोके मंगोलोईड २ काले वर्ण के निग्रोइड ३ और श्वेत वर्णीय आर्य. भगवान बुद्ध मंगोलोईड वंशीय क्षत्रिय शाक्य राजा थे. वे ब्राह्मण नही थे. हमारे दक्षिण भारतीय निगोइड वंशीय है, जहा हजारो साल पहले आफ्रिका खंड जुडा था. हम मूलनिवासी या तो शुद्ध निग्रोईड और मंगोलोइड वंश के है, या उनका मिक्श्चर है.कर्मठ ब्राह्मण स्वातंत्र्य वीर लोकमान्य टिळक ने संशोधित किया है कि आर्य वंशीय लोग प्रथमतः पृथ्वी के उत्तर ध्रुव के इलाके मे हि पाये गये थे. जो बाद मे विज्ञान ने भी शाबित किया है. वो घुमक्कड आर्योंकि कुछ टोलिया खुश्की के रास्ते प्रथम योरोप मे फैल गयी और कुछ उनसे अलग होते तुर्क से अरबी प्रदेश मे बस गयी उस अरबी प्रदेश से निकली अर्योंकी कुछ टोलिया सिंधू नदी पार करके भारत मे आयी जो हमारे ब्राह्मण है. उनका खून भ्रष्ट ना हो इसलिये चार जातीयोंमे उनकी हि जात अलग रखी. और मूलनिवासी बाकी कि तीन जातीयोंमे विभाजित किये. उनका विरोध नही करने वाले कुछ को उन्होंने उनके पैरोंकोहि छुने लायक सन्मान दिया. जो उनके कट्टर विरोधी और कांटे कि टक्कर दे सकते थे, उन्हे उन्होंने बाकी मूलनिवासीयोंके भी दुष्मन बनाने के हेतुसे क्रूरता पूर्वक पूर्ण रूप से सभी के लिये अछूत बना दिया. ब्राह्मण भी मूलतः अरबी मुल्क के होनेसे अरबी मुल्कोंके इसाई, इस्लाम और ज्यू धर्म जैसा हिंदू धर्म या संस्कृती भी वस्तुतः उस रेतीले अरबी मुल्क कि हि निपज है. दुर्दैव से सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू यह कोई धर्म नही बल्की एक संस्कृती या जीवन पद्धती है, ऐसे सुना दिया है. ब्राह्मनोंने अबतक गुपित रखा वो सत्य अब RSS प्रमुख भागवत ने भी स्वीकार किया. इसलिये अब सारे हिंदू धर्म का गौरव मानने वालोंके लिये हिंदू यह धर्म रहता हि नही है. सच माना जाये तो भारत के गैर ब्राह्मण मूलनिवासीयोंके अपने खुद के ऐसे मूलनिवासीयों द्वारा स्थापित ऐसे तीन हि मुख्य धर्म है, जीनमे हिंदू जीवन पद्धती जैसी अमानवी छु अछूत के बिलकुल प्रावधान नही और उच्च कोटी का मानवी तत्त्वज्ञान है. वे है बुद्ध, जैन और सिख. उसमे बुद्ध दुनियामे सबसे पुराना धर्म है. केवल उसमे हि किसी अबतक अन देखे, अन परखे जा सके और अनुभव हीन अज्ञात शक्तीकी कृपा या अवकृपा पर मानव को अवलंबित नही रखा गया है, जिसे बाकी धर्मोमे भगवान, गोड या अल्ला का नाम दिया है. उसमे मनुष्य प्राणी कि क्षमता पर हि विश्वास जताया गया है, मनुष्य को दुर्बल नही माना है. उसकि क्षमता को बढानेके तत्वज्ञान को हि विकसित किया गया है. मानव ने चांद पर जाकर अपनी उस महान क्षमता का प्रत्यय भी दिया है. क्यू नही कोई भगवान, गोड या अल्ला ये सब लढाईया या विध्वंस रोक सका. क्यू नही वो पाकिस्तान के हमले रोक सका और क्यू नही वो भारत के सभी आक्र्माकोंको ठोक सका? हम सोचना शुरू करेंगे तो बकना भी बंद हो जायेगा और कृती शून्य ऐसी केवल भाषण और प्रवचन देना सिखाने वाली RSS कि एक्याडेमी मे प्रशिक्षित मोदी, फडणवीस और योगी आदित्य जैसोंकि कृती शून्य झुठी बकवास भी बंद हो जायेगी.
जब जब मंच पर आये हो तब तब एक हि काम करते आ रहे हो. चलो चड्डी निकालो! स्साला हाफ पेंट से आसान होता था.
$ ब्राह्मण मराठी दैनिक लोकसत्ता कडून छापण्याचे धैर्य न दाखविले गेलेले आणखी एक जाहीर पत्र. @ महाराष्ट्राच्या राजकीय पटलावरील दृढ्ढआचार्य मा. पवार साहेबांनी त्यांना आत्ता पर्यंत कधीही ज्ञात नसलेले किंवा ज्ञात असूनही त्यांनाच माहित असलेल्या कारणांसाठी जगात नाही केलेल्या, कृष्णाजी किंवा भास्कर जो कोणी असेल त्या ब्राह्मण कुलकर्ण्याचा शिरच्छेद करणारे शिवाजी महाराज, हे ब्राह्मण निर्मित व केवळ ब्राह्मणच संचालित अशा रा. स्वयंसेवक संघाचे अब्राह्मण नेते हि जोर देवून जे सांगताहेत, त्या प्रमाणे गोब्राह्मण प्रतीपालक नव्हते, ह्या विधानाने रा.स्व.संघाच्या कोणत्याही थरातील कार्यकर्त्यां पेक्षा गैर ब्राह्मणांतच अधिक खळबळ माजली आहे, हे आपल्या दैनिकातील पत्र लेखकां वरून दिसते. तशा पत्र लेखकांतील दि. २६/६/२०१७ च्या दैनिकांतील एक पत्र लेखक लिहितात कि जसा मुसलमान अफझलखान स्वराज्याचा वैरी होता तसाच त्याला वाचविण्यासाठी शिवाजी महाराजांच्या जिवावर उठलेला त्याचा ब्राह्मण सेवक कुलकर्णीहि स्वराज्याचा वैरी होता म्हणून शिवाजी महाराजांनी अफझलखाना सहित त्याचा हि कोथळा बाहेर काढून त्यास यमसदनास पाठविले होते. तो ब्राह्मण कुलकर्णी एकमेव मराठी स्वराज्य संस्थापक शिवाजी महाराजांच्या जीवावर उठला होता, म्हणून स्वराज्याचा वैरी होता इतपतच त्या पत्रलेखकाशी सहमत होण्यास कोणाचीही काहीही हरकत नसावी. पण देवाला धुतलेल्या पाण्यासाहित कृष्ठ रोग्याच्याही अवस्थेतील कोणत्याही ब्राह्मणाच्या पदप्रक्षालाणाचे पाणी हि तीर्थ म्हणून भाविकतेने पिण्याचा रोग किंवा व्यसन लावलेल्या ब्राह्मणेतरांना देवा समान असलेले ब्राह्मण हे कायम व त्यांनी केलेल्या कोणत्याही भयंकर अपराधासाठी अपराधी म्हणून ठरविले गेले, तरी अवध्यच ठरविलेले होते व आहेत हा संदर्भ पत्रलेखकां कडून दुर्लक्षित झालेला दिसतो. नवीन शेत, नवीन घर, लग्न व नवजात बाळ हि देवाच्या कृपेसाठी ब्राह्मणाने आशीर्वाद द्यावेत म्हणून प्रथम ब्राह्मणांच्याच पायाशी ठेवण्याची प्रथा ब्राह्मणांनीच आखून दिलेली असल्या मुळे स्वतःच्या राज्याभिषेका साठी महाराष्ट्रातील ब्राह्मण आडमुठे पणा करीत होते म्हणून भरभक्कम खजिना दक्षणा म्हणून देण्याचे आमिष दाखवून उत्तरेच्या मुस्लीम शासकां कडे सेवारत व रममाण असलेल्या ब्रह्मवृंदातून गागाभट्टा सारख्या ब्राह्मणाला बोलावणारे व अस्पृश्येत्तर गैर ब्राह्मणांना ब्राह्मणांच्या पायांनाच स्पर्श करण्या इतपतच स्पृश्यता बहाल करणाऱ्या ब्राह्मणांतील एक अशा त्या गागाभट्टाने राजांच्या कपाळी लावावयाचा पवित्र राजतीलक लावताना देखील त्या आखीव प्रथेप्रमाणे स्वतःच्या डाव्या पायाच्या अंगठ्यानेच तो लावला, तरीहि त्या घोर अपमाना कडे दुर्लक्ष करणारे महाराज देखील स्वतःच्या अवतीभवतीच्या बहुसंख्य गैर ब्राह्मण रयते प्रमाणे व त्या रयते खातीरच ब्राह्मणांना देवा समान व अवध्य मानीत असावेत. असे असताना त्या सार्वत्रिक ब्राह्मण श्रेष्ठत्वाचे स्तोम माजलेल्या काळात ब्राह्मण कुलकर्ण्याचा वध करून ब्राह्मण अवध्य ठरवलेला तो नियम मोडित काढून ब्राह्मण हि सर्वसामान्यां सारखेच वधाच्याही शिक्षेस पात्र आहेत व अवध्य नाहीत असा संदेशच राजांनी वेड्या ब्राह्मण भक्त व भाविक बनवलेल्या अशा रयतेस दिला होता. त्यांची ती कृती रेड्याच्या तोंडून वेद वदवून घेवून बिनडोक रेडा हि कोणत्याही वेदशास्त्र संपन्न ब्राह्मणा पेक्षा कमी नसतो असे दाखविणारी क्रांतिकारीच होती, जिस केवळ एक चमत्कार असे भासवून कर्मठ ब्राह्मणांच्या विकृत जाचाला विटलेल्या अशा त्या संत ज्ञानेश्वरांच्या नियोजित विकृत ब्राह्मणी वर्चस्वाला मोडीत काढण्याच्या मुख्य हेतूस ब्राह्मणांनी झाकले होते. वेड्या ब्राह्मण भक्त व ब्राह्मणांनीच कमालीच्या भाविक बनविलेल्या रयते खातीरच व तितपतच अशी जी काही होती ती ब्राह्मणां प्रती आदराची भावना महाराजांच्या मनात होती. अन्यथा बनियांच्या काळ्या धनाच्या गोदाम अशा सुरत शहराला लुटून बनियांना धाकात ठेवणाऱ्या क्रांतिकारी महाराजांना अधिक आयूष्य लाभले असते तर ब्राह्मणांच्या विकृत स्वार्थी अधिपत्याला वेसण घालण्यासाठी त्यांनी ह्याहून जालीम उपाय नक्कीच अवलंबिले असते. मराठ्यांतील खणखणीत वाजलेल नाण अशा राजांनाहि ब्राह्मण देव सांगतो म्हणूनच हीन कुलोत्पन्न मानणाऱ्या पवारां सारख्या सरदारांना घी देखा पर बडगा नही देखा या म्हणी प्रमाणे सुसंस्कृत ब्राह्मण नेहरू नंतर आता पेशवाई बामणी बडग्याचा अनुभव आल्यानंतर, आत्ता जर काही उपरती झाली असेल तर ती देर सही पण दुरूस्तच म्हणावी लागेल. ब्राह्मण दत्त वर्ण वर्चस्वाची बेगडी झूल उतरून त्यांनी तळागाळाच्या रयतेसहि जवळ करून विश्वासात घेतल्यास शिवाजी महाराजां इतके नाही पण बाल शिवाजीच्या सुरुवातीच्या काळा इतकी सार्वत्रिक साथ त्यांच्या या उतारवयात त्यांना आत्ताही मिळू शकेल. ब्राह्मणी नेहरूं भय्यांनी लिहून ठेवल्या प्रमाणे महाराजांनीही खजिने लुटले. पण त्यांचा काडीचाही उपभोग न घेता ते त्यांनी रयते साठीच वापरले, हे महाराजांचे आणखी एक वेगळेपण. .
A COMPLIMENTARY NOTE TO A CURIOUS AFRICAN VOTER OF MY POLLING POST<> +Munyaradzi Muguti Thanks. Putting it in English too. It is abuse to Indian dirty caste system, where in few from dissected natives were decided & made untouchables to their colleagues too, to the extent that falling of their shadows too was deemed a great crime, and they were punished by removing their eyes, putting melt lead in ears or beheaded too. The system was rooted under Hinduism, which is decided as a culture & not religion by Indian Supreme Court. Hinduisms founders & heads are of Brahman community of India, which population is only 3, 1/2% of all Indians & is foreigner of exclusively Aryan blood. Though other natives were not decided untouchables like their untouchable decided colleagues, but they were permitted to touch feet only of any Brahman, to exhibit their respect & reverence to Brahmans, of leper status too. Is not it serious than Negro slaves exported from Africa in Europe, USA & Gulf countries, as they were not treated like Indian untouchables in their homeland India? Foreign origin' Mr. Barrack Obama could become President of great nation like USA, India' untouchables are still suffering torturing. Untouchables' Dr Babasaheb Ambedkar fought for untouchables, arose them to fight & united them alone, unlike Martin Luther King who had support of liberal mind' majority of European peoples & of Mr. Abraham Lincoln. Ambedkar is most educated with maximum degrees in the world. He scripted India' constitution.
India’ native Hindus pride to drink foot washed liquid of India’ Brahman community. Is not it unhygienic, dull & eunuch quality of them?
For 5000 yrs. Indian Brahmans are abnormally overall privileged as gods by native, that if monkeys too were privileged same they too had evolved to compete any Brahmans now.
Mr. Modi boasts of India as land of pioneer peace definer prophet Lord Buddha in world. But he & his master Brahmans make Indian to hate Buddha.
P.M. Modi is from defamed blood sucker traders Baniyas, use skill to sell, product of dirty human untouchablity rooter Hinduism’ Yoga of boss Brahman.
Warrior painted Hindu Rajputs, boast as rivals of Islam,offered princess Jodha to Akbar, 2 prince of Bundi killed elder brother 4 throne, grasped Islam.
Hindus’ master Brahmans made natives hard Islam haters, not cared to become Muslim Mopalas to share profit of marine trade like Arabs.
Like Indian P.M. Modi, all anti Islam stalwarts of his team provoke natives to be haters of Islam, but offer daughter, sister & wives too to Muslims
His puppeteer & head puppeteer Modi & Bhagvat are sure to exhibit President Candidate Mr. Kovind, garlanding idols of Lord Buddha & his disciple Dr B.R. Ambedkar, but with strict warning of not to speak of brutal torturing of his own native Buddhists, untouchables, tribal & downtrodden poor, deprived of normal humanly treat too. 1 Right or 2 drunk tight.
If Muslims pride to put name Mohammed first, will it be right for all Hindus to put name RAMGULAM before their name?
यह पुरा विश्वास है कि अब कठपुतलीये मोदी और उसके मालिक भागवत अध्यक्षीय अस्पृश्य उम्मिदवार श्रीमान कोविंद को भगवान बुद्ध और उनके अनुयायी बाबासाहेब आंबेडकर जी कि प्रतिमा के सामने अत्यंत लीन रूप मे हिरोंकी भी मालाए चढाते नाचायेंगे. लेकीन उनकेहि अपने अन्यायग्रस्त बुद्धिष्ट, अस्पृश्य, आदिवासी, और भेल के भी झुटे पत्ते भी चाटते उनकी भूख का दमन करने वाले, केवल मानवियता से भी वंचित लोग, रोहित वेमुला, जज करणन साब, गुजरात के गो रक्षक भेडीयोंसे प्रताडीत और सहारन पूर के काटे और जलाये गये दलीतोंके प्रती सहानुभूती नही जातानेकी सख्त वारनिंग भी देगे. वो भी बेचारा पापी पेट का मारा स्वाभिमान शून्य दलित कहा उसके राम के पैर छोडने वाला है, भले उस राम ने दलित शंबूक का खून किया हो या औरत जात कि स्वपत्नी सीता को उसके पिता राजा जनक के पास छोड अनेकी मामुली मानवियता दिखाने के बजाय उसे बिना मुआवजा, बेसहारा अकेली घने जंगल मे लाथ मारके हकाल देने जैसा हकाल भी दिया हो तो. देखते है, कही वे कठपुतलीये उसको भी BJP के माजी मृत दलित अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मन जैसे बदनाम करके बंगारू लक्ष्मन जैसे हि नरक वास मे तो नही भेजते. छीछोरे पन के लिये छोटे भाई से गोली से उडाये गये, गरीब से प्रती अंबानी बने प्रमोद महाजन तो ब्राह्मण थे, इसके लिये मुंबई के एक गार्डन को भी उसका नाम दिया गया और उसकी बेटी पूनम महाजन को युवा वाहिनी कि अध्यक्षा भी बनाया गया.
जिनके पैर धुले पानि को भी पवित्र तीर्थ मानके पिने वाले इतद्देस्सीय भारतीयोंसे भारतीय बम्म्नोंजैसे ५००० सालोंसे गर बंदरोंके भी लाड किये जाते थे, तो अभीतक सारे बंदर भी बम्म्नोंको भी मात देते दिखते थे. एकाध तो शंकराचार्य या RSS प्रमुख भागवत जैसा भी बनता दिखता था. तो परेश रावल जैसे कुछ बम्मन उलटा सफर क्यू करना चाहते है? १ उनके पूर्वज बंदर हि थे २ आज के बंदर भी पहले बम्मन थे.
मुसलमान जैसे उनके नाम के पहले मोहम्मद लगाते मुस्लीम होने का अभिमान जताते है वैसे हि हर रामभक्त हिंदू अपने नाम के पहले लिये रामगुलाम इस गौरव पूर्ण शब्द का इस्तेमाल करे तो?
खुबसुरत सिने अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने हिंदू धर्म को खुनी धर्म जाहीर किया. हिंदू भी है वो और हिंदू कि संहिता मनुस्मृती के रचेते मनु जैसी एक ब्राह्मण भी है वो. सारे भारतीयोंमे केवल ब्राह्मण हि ऐसे नव विचार निर्माण और स्वीकार करनेकी काबिलीयात रखते है. और नवीन स्विकारनेकी भी. दुनिया कि एकमात्र और अनोखी इंसानी छुत अछूत कि खोज भी उनकी और जब वो जातीभेद जिस हिंदू धर्म के तहत राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र को खोखला करने वाली विषैली जड है यह वो जान गये तो भारत मे सर्वप्रथम अस्पृश्य ऐसे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी को नेता मानने वाले और बम्मन मनु रचित हिंदू संहिता मनुस्मृती भी प्रथम जलाने का धैर्य दिखाने वाले केवल बम्मन हि है. सडी हुई पेशवाई मानसिकता के बम्मनोंके अलावा ऐसी बुरे को बुरा कहने कि हिम्मत और प्रगतीशिलता तमाम सारे भारतीयोंमे केवल वे हि दिखा सकते है. अनुभव ऐसा है कि आजकल वैसे सुधारणा वादी बम्मन पुरुशोंकि जगह ब्राह्मण भगिनी हि ले रही है. शायद उनके सती जानेके और चमन याने केश वपन करके घर का अंधेरा कोना पकडनेके भयानक गत अनुभवोंकी पुनरावृत्ती वे नही चाहती है. जिस राम ने जिसके पूर्वज अस्पृश्य शंबूक ऋषी का केवळ अस्पृशोंको वर्जित ऐसी तपस्या वो करना चाहता था इस लिये खून किया था ऐसे बाप के खुनी राम के नामक जप करने वाली स्वाभिमान शून्य लाचार ऐसी साक्षी महाराज जैसी दलित महिला ऐसी बम्मन महिलांसे ऐसे कुछ प्रगतीशील सोच सिखे. उसके येडे चाले केवल मनोरंजन हि करते है. स्वरा भास्कर जैसे और भी ब्राह्मण भगिनीओंका मैने इस मंच पर पहले भी सन्मान किया है. ब्राह्मण स्वरा के हिम्मत को भी मेरा सेल्युट. १ सही हुं या २ गलत?
It is big irony! By blood India’ Gujarat state’ peoples are traders only. From dead to live human flesh they did spare nothing to trade. They can sell dust too at the cost of radium, showing it imported from space. Sweetness is most useful tool for convincing or fooling buyers. Obviously they are full of sweetness. Probably their greatest liking for sweet & fatty food is the reason of their cute sweetness. How can be they fighters or warriors? Hence a single drop too of blood of warriors or fighters, is hereditary absent in them. All outsiders only were kings in Gujarat & ruled Gujaratis. But still two Gujaratis, i.e. Mr. Mahatma Gandhi & Mr. Jinnah are called creators of India & Pakistan. Mr. Gandhi is called as father of India & Mr. Jinnah of Pakistan. Today’ Indian P.M. Mr. Modi & his equally powerful painted aide Mr. Amit Shaha too are from same Gujarat. What a great achievement of non warriors & fighters cowardice!
Both Mr. Gandhi & Jinnah are from Gujarat state of India & known as fathers of India & Pakistan. Irony is Gujarat never had kings from its peoples.
@ मेरे बहुत सारे पोलिंग पोष्ट से उल्हासित एक महनीयने पूछा है कि मै किसकी पैदास हू. उसका नाम बताकर मै दिलसे उसे अपमानित नही करना नही चाहता हू. लेकीन उसकी और उसके जैसोंके ऐसी उचित पृच्छा का शमन करने हेतुसे हि मै बताना चाहता हु कि मै अपने हि बाप कि पैदास हुं. हमारे मे भर भक्कम दक्षणा के साथ साथ नव वधू को भी पती के पहले ब्राह्मनोंको भेट चढानेका रिवाज नही है. हमे उन्हे तो क्या पर तुम्हारे जैसे उनके पैर भी छुनेसे नफरत है.
@ इन्सान इंसान मे छुत अछूत कि पद्धती के निर्माते जुते मारनेके के लायक हि है. तुमने तो केवल अपने स्वार्थ के लिये उसे जनम दिया. जाती भेद नष्ट नही होगा, उससे सारे भारतीय बिखरे हि रहकर कभी इक जूट नही होंगे, और जिस देश के नागरिक इक जूट नही वो देश अंदर से खोखला हि होता है, यह बात सोची हि नही तुमने. ब्राह्मण जिस मुल्क और रास्तेसे भारत मे पधारे उसी मुल्क और रस्तेसे पहला मुस्लीम आक्रमक मीर कासीम भारत मे धाड डालने आय. उन्होंने ८०० साल भारत को ठोका. मोहम्मद के खानदान के तो ब्राह्मण रीश्तेदार है. यहा मूलनिवासीयोंसे केवल दक्षणा ऐन्ठते रहे, और मोहम्मद के खानदान से रीश्तेदारी का फर्ज निभाने यहासे दूर मक्का के पासके करबला मे मोहम्मद के पोते हुसेन कि जंग मे मदत करने दौडते गये थे. हुसेन ने उन्हे “हुसेनी बम्मन” ऐसी खीताबत से सन्मानित भी किया था. गर्व मानते थे ब्राह्मण उस खिताबत का कल तक. बम्मन नेहरू हि तो था उनके रीश्तेदारोंको भारत तोड के पाकिस्तान देने वाला. वो अंग्रेज थे जिन्हे बम्मन पेशवा कि २५ हजार कि मराठा फौज को परास्त करने वाले केवल ५०० सैनिकोंकी अछूतोंके महार रेजिमेंट के अछूतोंके शौर्य और धैर्य कि कदर थी. अछूतोंको अवमानित करना तो बम्मनोंने हि आम किया है, तो पाकिस्तान मे उनके मुसलमान रीश्तेदार अछुतोंको कैसे बख्शेंगे? वो छोडो कारगिल को गर भुलना नही चाहते हो तो यह बात तय है कि अब भि बम्मनी राज मे हि पाकिस्तानी मुसलमान भारत को घूस घूस कर ठोक रहे है.

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योरोप के रशिया, फ्रांस, ब्रिटन आदि देशोंमे जनता और राजे सारे के सारे आर्यवंशीय हि थे. फिर भी आर्य वंशीय जनताने उनके आर्य वंशीय राजा रानीयोंको गाय बकरी से भी क्रूर पद्धतीसे गिलोटिन के नीचे रखकर मारा था. उनके राजवाडे और महल भी फुंक दिये थे. यह इतिहास हमसे जादा पुराणिक नही है. पश्चिम आशियाई और उससे सलग योरोप के पाश्चिमात्य मुलुकोंके मूलतः निवासी मुसलमान और अंग्रेज इनकि भारत मे घुसखोरी के बहुत पहले उसी पश्चिम आशियाई मुलुक से भारतीय हिंदू धर्म के जनक और अद्यापि पालक, ऐसे ब्राह्मण भारत मे घुसखोरी करने वाले सर्व प्रथम ऐसे आर्य वंशीय है. उन्होंने जिसे धर्म के नामसे भारत के मुल निवासी सपुतों पर थोपा था, वोह हिंदू यह धर्म था हि नही, ऐसे भारतीय सुप्रीम कोर्ट का सत्यान्वेषी फैसला हुआ है. वोह हिंदू नामकी एक संस्कृती मात्र हि है, जिसकि नियमावली ब्राह्मनोंने मनुस्मृती नामके पुस्तक मे गठीत की है. वर्तमान अघोषित ब्राह्मण मुखीये ने भी समस्त ब्राह्मनोंकी ओरसे, उस उन्होंने ५००० सालोंसे यहा के मूलनिवासी, जिन्हे वे अभी भी झुठ से हिंदू घोषित और साबित करनेके अथक प्रयास कर रहे है, उनसे छिपाया हुआ सत्य आखिर मे...
!ब्राह्मणाय!अगर मुसलमान अफझलखानका हिंदू बम्मन नौकर भास्कर कुलकर्णी, उसके मालिक अफझलखानको बचानेके प्रयासमे हमारे वंदनीय शिवाजी महाराज को जानसे मारनेमे सफल होता, तो छत्रपती शिवाजी महाराज के नामपर गल्ला जमा करते घुमने वाला और महाराष्ट्रके बम्मन सी.एम. देवेंद्र फडणवीसके हाथो महाराष्ट्र भुषण पदवीसे नवाजा गया बम्मन नौटंकीया श्री बाबासाहेब पुरंदरे, आज शायद उस कुत्ते भास्कर कुलकर्णी या शिवाजी महाराज के जबरदस्त बेटे संभाजी महाराज को नशेबाज बनाके और फसाके मुघल औरंगझेबके शिकन्जें मे धकेलने वाले एक और बम्मन कुत्ता कवी कलश, जिसे कब्जी कलुषा के नामसे भी पेह्चाना जाता है, इनकी भी तारीफ प्राचीन बम्मन दगाबाज चाणक्य जैसी करते थे और दक्षिणाओंसेही अपनी झोलीया भरते नजर आते थे. वैसे भी भारतमे पहले घुसखोरी किये आर्य बम्मन, उनके बाद भारतमे घुंसे उनके ही भाईबंद मुसलमान और अंग्रेजोंकी सेवा ही मुल भारतीयोन्से वफादारीसे करते दिखाई दिये है. भारतीय मुलके सम्राट चन्द्रगुप्त के अनौरस पिता सम्राट नंद को धोखाघडी से मरवाने वाला चाणक्य भी तो बम्मन हि था! कमालका स्वार्थ और उसके लिये हरबार धोखाघडी करना इनके खून मे हि है. ...

Lok Satta 5 june

If Hinduism’ god Lord Rama’ unethical shamelessly murdered hermit Shambuka from untouchable made native Indians & his people sing carols or prayers of lord Rama, then instead of Rama spineless untouchables must be abused. Peoples praying Hindu gods are actually devoted & revere too to Brahmans. As source of their income in shape of Dakshana & for maintaining their labor less life style, Hinduism & its all gods are born from Brahmans’ brains. @लोकसत्ता १५ जूनचे पत्र @बंदर कितने भी इकजूट होते और शेकडो टोलीया भी बनाते शेर को मात देने कि सोचते है. फिर भी किसी भेडीये कि भी गुरगुराहट सुनकर तितर बितर हो जाते है, तो उनका शेर के बारे मे सोचनेका बन्दरी नजरिया हि उसके लिये जिम्मेदार है. शेर को मात देने गर वे शेर कि नजरिया से सोचे तो अपनी और शेर कि भी कमजोरीया भांप सकते है, और अपनी खामिया दूर करके या चतुराई से छीपाते शेर कि कमजोरीयों पर हमला कर के शेर को मात दे सकते है. उसके अकेले पर भी फिर कोई शेर हमला करने के पहले सौ बार सोचेगा. हमारे अपने जन बाबासाहेबजी कि बदौलत फिरसे शेर...