One pimp of Baniya pimp P.M. Modi. group has shown his capacity on this platform. Must to screw them, hence it is separate submission मनु कालसे हिंदू धर्म के मलिक और शंकराचार्यो के रूपमे चालक रहे बम्मन तो इस्लाम के पैगंबर मोहमद के खानदानके खून के है. मोहम्मद के पोते हुसेन कि प्रोपरटी और खिलाफत पानेके लिये हुई जंग मे उसे मदद करने तो वोह भारतसे दूर के मक्का तक भी दौडते गये थे. उनकी उस मदत के बदलेमे हुसेन ने उन्हे हुसेईनी बम्मन नाम का खिताब बख्श दिया था. कल तक बम्मन भी वोह खिताब उनकी शान समझते थे. सिद्ध फोकट खाबू बम्मनोंने तो मुसलमानोंके खिलाफ शुरुसे हि कभी आवाज नही उठाई. उनकी हि वजहसे बुध्द और भारत के असली सम्राट अशोक, हर्ष वर्धन काल मे सोनेकी चिडिया कहलाने जाने वाले और केवल अखंड एत्तद्देसीयोंका भारत उनके प्रस्थापित जाती भेद तहत जातीयोंमे बिखर कर खोखला हुआ. बम्मनोंके बाद भारत मे आए सभी घुसखोर उंट, गाय, बकरी पालने अनपढ गंवार चारवाहीयोंका मुलुक, ऐसे गर्मिले सहारा रेगीस्तान के आसपासके लोगोंमेसे या वहा जनमे धर्मोंसे संबंधित थे. हमारे बम्मन भी वहीसे आये है, और उन्होंनेहि उनके उस भाईबंदोन के लिये पराक्रमी इतिहास के भारत के दरवाजे खोल दिये यह कहना सर्वार्थ से उचित हि होगा. मानवता को अत्युच्च धर्म मानने वाले बुध्द के अनुयायी सम्राट अशोक गर कलिंगा युद्ध के भयकारी नरसंहार से दुखी होकर तलवार म्यान नही करते, तो तुम बम्मनोंके रेगीस्थान स्थित भाई बंदोन्के स्थापित अब्राहमिक धर्मोनका इस धरती पर जनम हि नही होता था. जो हिंदू मनुस्मृती गंदी बताकर खुद कुछ बम्मनोंनेही भारत सर्व प्रथम जलाई, उसका तो डरपोक बम्मन खुद हि जगह जगह यग्य रचाके हजार सालो पहले हवन करते थे. सालो वीरता मानवियता के साथ हि शोभा देती है. अपने हि एत्तद्देसी भाईओंसे अलग कीए दलितोंके उपरके क्रूर अत्याचारोंका प्रबंध करने वाली, बम्मनों रचित मनुस्मृती केवल नीती हीन विकृत हिजडोन्कोही पूज्यनिय लगेगी. नासिबसे मनुस्मृती जलाने वाले कुछ बम्मनोंने तो साबित किया कि कुछ बम्मन हि वो उन हिजडोन्मेसे नही है, जिनमे सारे एत्तद्देसी हिंदू और बम्मन शामिल है. स्वार्थ किसी जान्वरको भी चालाक बनाता है, जिसे आम आदमी बुद्धिमानता मानकर फंसता है. कया किया इन परदेसी बम्म नोंने एत्तद्देसीयोंकी भलाई के लिये, जिन्हे उन्होंने कट्टर हिंदू हि नही तो अरेसेस के एक बम्मन नेता के कथन अनुसार हिजडे भी बनाए है? गद्दार है वोह पहलेसेही भारत और मुल भारतीयोंके. पहला बम्मन भडवा गद्दार चाणक्यसे गिनती करोगे तो बम्मन उनकी हिंदू संस्कृती को धर्म के नाम पर अभी भी कायम करनेके हेतुसे हि, जैसे उन्होंने उस वक्त प्रभावी भगवान बुध्दके वलय को खुदके निर्मित परम महान शक्तिशाली देव विष्णू का ९ वा अवतार बताकर बुध्द प्रभावीतोंको चुतीया बनानेमे किया था, वैसेहि जीन शिवाजी महाराज का नाम वोह इस्तेमाल कर रहे है, उनको और उनके पुरे खानदानको वोह शुरुसे हि नडे है ऐसा इतिहास कहता है. भारत का वोह एकमेव मराठा राज भी तो बम्मन पेश्वानेही मिट्टी मे मिला दिया. वोह कभी भी सहारा रेगिस्थानके जन्मे कोई भी धर्मके खिलाफ दिलसे नही थे. उलटा जब काश्मिरी पंडीत फिरसे हिंदू बनना चाहते थे, तो भारत के बम्मनोंने उसका विरोध करते उन्हे फिरसे हिंदू धर्म मे आने नही दिया. हिंदू यह एक परदेसी बम्मनोंकी अपनी खुद कि केवल जीवन शैली, याने कल्चर हि है, ऐसा आर.एस. एस. प्रमुख, माननीय मोहन भागवत और सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐलान करने के बावजुद, अभी भी उस सत्यको नजर अंदाज करने वाले कट्टर हिंदू बनाये एत्तद्देसीयोंके दिल और दिमागमे, हिंदू धर्म अंतर्गत निषिद्ध ऐसे समुद्र पार करनेके नियमका भंग और महा पाप होने का डर उन चुतीया एत्तद्देसीयोंमे कायम बना रहे और केवल वो भी उन अरब दर्यावर्दीयोंजैसे दर्यावर्दी बनकर उनकि कमाई का हिस्सेदार न बने इसलिये हि, केरला मे अरब दर्यावर्दीयोंकी कमाई देखकर ललचाये बम्मन खुद मुसलमान मोपला बने, जिन्हे दिमाग वाले परम स्वार्थी पूर्वाश्रमी बम्मन होने कि वजहसे भारत के सबसे कट्टर मुस्लीम माना जाता है. अपने मतलब के लिये मानवियता को नझर अंदाज करने वाले इंसान नही हैवान कहलाते है. जो बम्मन और यत्तदेसिय हिजडे है. बस करो अब नौटंकी इस प्रगत काल मे. बस तुम्हे यही बख्श्ता हु फिर कभी मिलोगे तो चड्डी उतारनेका भी अवसर नही दुंगा. नमो बुद्धाय !नमो शिवराय! नमो भीमराय!
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