साला गांडाभाई मोदी और उसके माय बाप रा.स्व; संघ जो केवल बम्मनोंकीही मिलकीयत है, वो उठते बैठते देश भक्ती कि डिंग मारते और रट लगाते दिखते है. वो माय बाप बम्मन तो, भारतीय सम्राट नंदसे धोखाघडी करने वाले चाणक्यसे लेकर, छत्रपती शिवाजी पर जानलेवा हल्ला करने वाले भास्कर कुलकर्णी तक, जमानेसे देसी राजाओंको धोखाहि देते और देसिओंको चुतीया बनातेहि मलाई खाते दिखे है. इस्लाम के मोहम्मद के सिद्ध खानदानी रीश्तेदार बम्मन, जिसकी प्रतिमा का इस्तेमाल वो अब हिंदू एतद्देसीओंको मुसलमानोंके खिलाफ भडकानेके लीए कर रहे है उसी मराठा छत्रपती शिवाजी को खतम करनेकी कोशिश उनमेसे हि एक कुत्ते कुलकर्णी ने उसके मुसलमान मालिक अफझलखान को बचानेके लीए कि थी. आरेसेस जो रा.स्व. संघ का संक्षिप्त रूप है, उस मे जाकर, शाखा दक्ष और सारी दुनिया हि भक्ष; यहा तक हि इनके चेलौंका देशप्रेम सीमित है. बोर्डर पे जाके मरनेके बजाय आरेसेस मे शामिल होना यह सबसे आसान तरीका है इनके लीए देश भक्ती दिखानेका. उनका उमडता देशप्रेम दिखानेके लिये, गरीबोनका खून चुसकर सूद खाने वाले और अपनोंमेसे अबतक राजवंश या एक भी योद्धा पुरुष पैदा न कर सकने वाले, असक्षम ऐसे बनिया पी. एम. मोदि के जात भाई बनीयोंके लीए तो आरेसेस एकदम हि सही संघटन है. हमारे मां बाप नही कहते थे, फिर भी हम बचपन मे स्काउट, स्कूल, कोलेजोंमे एन.सी.सी. करके मिलिटरी और एयरफोर्स मे भरती होने को दौडे थे. हमारा बाप रेलवे मे नौकरी करता था फिर भी खून स्वस्थ नही बैठता था, इस लिये टेरीटोरीयल आर्मी मे भी शामिल हुंवा था. पी.एम. बने मोदी को ऐसे देशभक्ती का परिचय देने के बजाय, जानको बिलकुल खतरा नही ऐसा चाय बनाने और बेचनेका धंदा हि सबसे सेफ लगा ऐसा साफ दिखता है. आर्मी मे कहा चुतीया बनानेके अवसर मिलते थे इस बनीयोंमेसे एक ऐसे मोदी को, जो नल्ला माल भी अच्छे कवर मे डालके बेचकर पेट पालते आये है? कमसे कम होम गार्ड तो जॉईन करनी चाहीए थी उसने देश और उसके क्लर्क अमित शहा ने, बम्मनोंके पैर धोते बैठने के बजाय खाली समय मे. इतने बडे आबादी के भारत का अपघाती पी.एम. बनाया गया और मनकी बाते करनेके बहाने पुरी दुनिया शाशकीय पैसोन्पर घूम, देख चुका, मोदी तो भारत के पंतप्रधान के रूप मे कम लेकीन हिंदू धर्मके शाशकीय प्रचारक के रूपमेहि, चिल्लर ऐसे बनिया आसाराम बापू, श्री श्रीरवी शंकर और रामदेवबाबा जैसे एक, ऐसाहि नजर आता है. अपनी हि अमानत रक्कम निकालने, बेन्कोंके सामने खडी कतारोंमे, सेनासे भी जादा बडी तादाद मे मरने वाले गरीब देशवासीयोंको ये आरेसेस के पिल्ले हर बार सेना के जवानोंके कषटोंकि याद दिलाते दिखते है. स्वस्थ, सुरक्षित माहोल और काल मे हि दिमाग जादा तेज होता है इनका. जो हिम्मत और जाहीर खोखले तन कि भी ताकत बढ जानेका गांडूओंको भी फिजूल का एहसास दिलाता है. ५००० सालोंका इतिहास बताता है कि भारतीय हि चुतीया बनानेके लिये सबसे आसान जन है. उनको भारत घुमने आनेवाले सारी दुनिया के परदेसीयोंने बार बार बेहद ढोंगी और पाखंडी जाहीर किया है. अंग्रेजोंके देशकि, अंग्रेजोंकि शराफत और न्याय प्रीयता का मजा चखने और जायजा लेने के बाद हि तो बनियोंमेसे एक हड्डी छाप गांधी जरा खेलने, कुदने और बादमे उछालने लगा था. मुसलमानोंके और शिवाजी के राजमे तो ये बनिये, उपर मुंडी भी उठा नही पाते थे. उनका उनके लिये अभी अभिमानास्पद बना सोरटी सोमनाथका मंदिर, और जिस सुरत शहर को अभी भी काले धन का कोठार माना जाता है, उनको मुसलमान और मराठा उनका पीछवाडा बेझीझक पिटते पिटते बार बार लुटते दिखे है. उनही बनियोंमेसे एक बनिया गांधीने भारत का नुकसान किया है, ऐसे सभी आरेसेस और उनके पीट्टे कहते है. उसके बम्मन गोडसे के हाथो हुए खून को तो वो जायज दिखाके वध का भी नाम देते है. गांधीने देशका नुकसान किया या नही यह तो पता नही पर उसने पुना पेक्ट के समय भारत के एकमेव अस्पृश्य उद्धारक, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी को आत्महत्या करनेकी धमकी देकर उन्हे पुना पेक्ट पीछे लेने लगाया था, उससे उसने दलीतोंका कायमस्वरूपी नुकसान हि नही किया पर घोर अपराध भी किया है. गांधी कि वजहसे देशमे सबसे जादा फायदेमे रहे होंगे तो वोह केवल उसके बनिया ! दांडी सत्याग्रह दरम्यान उसने बिना टेक्सका नमक चुराने का जो साहस दिखाया था उससे प्रभावित, उसके पहले सब गांडू बनिये जकात टालने और अपने फायदोन्के लिये हर सरकारी कानून तोडने के जो काम चोरी छुपे और घुंस देकर हि करते थे, वोह सारे बदकर्म उसके बाद अभी हकसे और सरेआम करने लगे है. लगता है बनीयोंको उनके पैदाशी खून मे अपना खुदका राजवंश या योद्धा पैदा न कर सकने वाले उस गांडू डी.एन.ए. कि मौजुद्गी अभी तक खलती है. इसी लीए उपर कहा वैसे स्वस्थ कालमे, जरासी भी चमक दिखा दे ऐसे कोई भी ऐरे गैरे नत्थू खैरे बनिया व्यक्ती को वो कभी शेर कि या कभी किसी महान व्यक्ती कि उपमा देकर उसमे अपना योद्धा खोजनेकी और उसे योद्धा के रुपमे दुसरोंपर भी लादनेकी कोशिश करते दिखे है. उसके लिये उनका खून चुसकर कमाया सारा काला धन भी डाव पे लगा देते है, गरीब बेच्चारे! गांधी को बिर्ला, बजाज जैसे बनीयोंने मदत कि तो अब मोदी को अंबानी और अदानी जैसे बनिये काम मे आये. गांधीने जैसे बनीयोंकाहि भला किया वैसे मोदी भी उसके उपर का अदानी, अंबानी का एहसान चुकाने और गुजरात का हि भला करनेमे लगा है, यह बाते जब वो महाराष्ट्र कि आर्थिक राजधानी ऐसे मुंबईको महाराष्ट्र के दूर दराज के विकासाधीन नागपूरसे खर्चिक बुलेट ट्रेनसे जोडने के बजाय, उसे गुजरातकि पहली राज धानी अहमदाबाद से जोडनेके लिये हि यहा लोगोंको बेन्कोन्की लाईन मे मरते छोडकर भी जापान भाग गया, अंबानी अदानी को ६/६ हजार करोड रु.का कर्जा दिलवाया और अंबानीके रिश्तेदार उर्जित पटेल को आरबीआय गवर्नर बनाया, इससे साबित होती है. श्रीमती सुषमा स्वराज और मराठा राज घरानेकी नेपाली बहु वसुन्धराराजे (राणी क्यू नही?) शिंदे जैसी महानायिकाओंके परम निकट, ललित मोदी भी तो बनिया होनेकि वजहसेहि उसके सारे काले धन समवेत बाईज्जत परदेस विदा किया गया था. बतावो कितने परमवीर चक्र तो छोडो लेकीन कोई वीरता का भी पदक किसी बम्मन या बनियोन्के नाम पर है क्या? देश के लिये ऐसे वीर मरन और शहीद होना उनके बस तो छोडो नसीबकि भी बात नही है. भारतीय स्वातंत्र्य के तकरीबन २२ साल पहले, सन १९२५ से आरेसेस कि स्थापना हुई थी, और तभि से वो कार्यरत है. फिरभी भारत के स्वातंत्र्य युद्ध मे उसका रत्ती भर भी योगदान नही होने के बावजुद वोह अपनी छबी भारतवासीयोंमे कट्टर देश भक्त ऐसी बनाने मे सफल रहे है. वैसे भी वह उनके लिये कठीन काम नही था, अगर वो परदेसी और भारत कि कुल आबादी के केवल साडे तीनटक्के कि तादाद मे होनेके बावजुद भी अपनी खुदकी जीवन शैली, याने हिंदू कहलाये जाने वाला कल्चर, सारे भारतीय एतद्देशीयोंपर ५००० साल पहले थोम्पकर उसे आजतक बरकरार रखने मे यशस्वी है. आर्य खून के होने कि वजह हिटलर कि जर्मनी और खास कर वहाकी गुप्तचर यंत्रणा गेस्टापो को बेहद चाहती है आरेसेस. फीर भी हिटलर के दुश्मन, ज्यू लोगोंके इजरैल कि वोह तारीफ भी करते है और मिसाल भी देते है उनकी प्रखर देश भक्ती और सामर्थ्य कि, भारतीयोंको. दो बार वे इस देशके शासकोंके नियंत्रक रह चुके है. क्यो नही उनके शासन कालोंमे उन्होंने लोगोंको आरेसेस मे हि भरती करने के बजाय, उन्हे इजरैल जैसे, कमसे कम दो साल कि आर्मी मे सेवा अनिवार्य करने के लिये ठोस कदम उठाये? उससे वो जो उनके हर एक विरोधीको देशद्रोही करार कर देते है, वह कह्नेकी उनकी तकलीफ तो बच जाती. नही करेंगे वो ऐसा जीससे सारे के सारे देश वासी शिस्तबद्ध नागरिक बन जाते थे. नही करेंगे वे ऐसा जीससे स्वच्छ भारत जैसी चुतीया बनाने वाली तकलादू मिशन वो शुरू हि नही कर सकते थे. नही करेंगे वे ऐसा जीससे भारतीयोंमे समता और समानता का बीज अपने आप बोया जाएगा. नही करेंगे वे ऐसा जीससे भारत वासी एक दुसरोनसे जुडक्रर एकजूट हो जाएंगे. नही करेंगे वे ऐसा जीससे भेदाभेद विरहीत भारतीयोन्की एकजूट भारत को असलमे सामर्थ्यशाली बना देगी. नही चाहते थे वो उनकी घोर गलतीयोंका दोष उनके द्वारा देशद्रोही जाहीर किये लोगोंके माथोनपर थोम्पनेकी संधीओंको गवाना, और ना ही चाहते है वो उनका अधिपत्य गवाना जो केवल उनके हि बनाये हजारो जातीयोंमे बिखरे एतद्देसीयोंकी बदौलतहि कायम है. बनिये और बम्मनोंका इस देशसे और गैर बम्मन, गैर बनीया भारत वासीयोंसे कुछ भी लेना देना नही है. जब तक उन्हे आसानीसे बुद्धु बनानेके लीए उनके हि बिखराए भारतीय मूल निवासीयोंके गुट बिखरे हि रहेंगे तब तकहि वो दोनो यहा मगरमछ के आंसू बहाते दिखेंगे. वो कर के दिखाए सब देश वासीयोंके लीए उनके अपने अपने योग्यता अनुसार आर्मी कि सेवा अनिवार्य, अगर वे अभी भी देशके हित मे सही मे कुछ करना चाहते ह, और अभी उनके लीए यही सही वक्त भी है तो! नमो बुद्धाय! नमो शिवराय! नमो शाहूराय ! नमो भीमाय.
योरोप के रशिया, फ्रांस, ब्रिटन आदि देशोंमे जनता और राजे सारे के सारे आर्यवंशीय हि थे. फिर भी आर्य वंशीय जनताने उनके आर्य वंशीय राजा रानीयोंको गाय बकरी से भी क्रूर पद्धतीसे गिलोटिन के नीचे रखकर मारा था. उनके राजवाडे और महल भी फुंक दिये थे. यह इतिहास हमसे जादा पुराणिक नही है. पश्चिम आशियाई और उससे सलग योरोप के पाश्चिमात्य मुलुकोंके मूलतः निवासी मुसलमान और अंग्रेज इनकि भारत मे घुसखोरी के बहुत पहले उसी पश्चिम आशियाई मुलुक से भारतीय हिंदू धर्म के जनक और अद्यापि पालक, ऐसे ब्राह्मण भारत मे घुसखोरी करने वाले सर्व प्रथम ऐसे आर्य वंशीय है. उन्होंने जिसे धर्म के नामसे भारत के मुल निवासी सपुतों पर थोपा था, वोह हिंदू यह धर्म था हि नही, ऐसे भारतीय सुप्रीम कोर्ट का सत्यान्वेषी फैसला हुआ है. वोह हिंदू नामकी एक संस्कृती मात्र हि है, जिसकि नियमावली ब्राह्मनोंने मनुस्मृती नामके पुस्तक मे गठीत की है. वर्तमान अघोषित ब्राह्मण मुखीये ने भी समस्त ब्राह्मनोंकी ओरसे, उस उन्होंने ५००० सालोंसे यहा के मूलनिवासी, जिन्हे वे अभी भी झुठ से हिंदू घोषित और साबित करनेके अथक प्रयास कर रहे है, उनसे छिपाया हुआ सत्य आखिर मे...
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