Skip to main content

Sati Hindi


बम्मन राजाराममोहन राय और क्षुद्र सावित्री बाई फुलेंकी बदौलत जिनका जिंदा जला जाना बच गया और जो अब योनी शुद्धता के खिलाफ भी बुलान्दिसे आवाज उठाने मे कबिल ही नही तो हिंसक भी दिखाई दि रही है, वोह विशेषतः अभिजन औरतों तुम्हारा बेडा तो पार हो गया. लेकीन वह फायदा उठाने के बाद आप केवल अपनी अपनी हि देखते नजर आ रही हो. स्वस्थ समाज का यह लक्षण नही है. खुदकी इतनी उन्नती और प्रगती के बाद सावित्री मातासे प्रेरणा लेके समाज कि दुसरी सारी गन्द्गीया दूर करने के काम मे भी योगदान देना आपका नितांत आवश्यक कर्तव्य बनता है. पर आपमेसे कोई भी उस पर गौर हि नही कर रही हो, यह खुला दिखता है. आखीर आप भी आपके मर्दोन जैसे नितांत स्वार्थी हि नजर आ रही हो, जो तुम्हारे इस अनियंत्रित प्रगतीसे चिंतीत ही नही तो त्रस्त भी दिख रहे है. तुम्हारे अपने आदर्श आर.एस.एस. के महनीय मोहन भागवत तो तुम्हे फिरसे पिंजडे मे डालनेकी कि भी गम्भिरतासे सोच रहे है. स्त्री समानता तो अब सर्व स्वीकृत है. क्या मोहन भागवत जैसोंके खिलाफ लढ्नेमे आपको सर्व समावेशक समता और समानता के लिये भी आवाज उठाना जरुरी नही? अगर आप सर्व समावेशक समता और समता नही चाह्के केवल अपना स्वार्थ देख कर तुम्हारे हिंदू धरम कि निर्दयी कुप्रथाकोही छोडकर बाकी सब कुप्रथा अबाधित हि रखना चाहती हो? तो हम उस सती कि प्रथा कि भी पुनर्स्थापना कि मांग करते उसे भी हिंदू धरम के सारे तत्वोन्के के तहत प्रचलित करनेकी मांग करे तो बिलकुल गलत नही होंगे. मा कसम सारे के सारे बम्मन और उच्च वर्णिय उनकी औरतोंकी उनके हिसाबसे शुद्ध और पतिव्रता रखनेकी जिम्मेदारी उस प्रथा पे छोडकर उनके पीछे तुम क्या गुल खिलावोन्गि इस त्रस्त करने वाली उनकी व्यथासे कायम मुक्त हो जायेंगे. हां लेकीन ५००० सालोन्से मलई खा चुके वोह केवल ५५ सालके सामाजिक आरक्शनसे भयभीत, नाकाबीलोन्की आत्म ह्त्याओन्की संख्या बढ सकती. समझदार हो अगर डार्विन कासिद्धांत याद करोगी. साले ५००० सालोंसे वंचित दलित झुठे पत्ते चाट कर भी कभी आत्महत्या नही कर रहे है.

Comments

Popular posts from this blog

Yorop ke Hindi

योरोप के रशिया, फ्रांस, ब्रिटन आदि देशोंमे जनता और राजे सारे के सारे आर्यवंशीय हि थे. फिर भी आर्य वंशीय जनताने उनके आर्य वंशीय राजा रानीयोंको गाय बकरी से भी क्रूर पद्धतीसे गिलोटिन के नीचे रखकर मारा था. उनके राजवाडे और महल भी फुंक दिये थे. यह इतिहास हमसे जादा पुराणिक नही है. पश्चिम आशियाई और उससे सलग योरोप के पाश्चिमात्य मुलुकोंके मूलतः निवासी मुसलमान और अंग्रेज इनकि भारत मे घुसखोरी के बहुत पहले उसी पश्चिम आशियाई मुलुक से भारतीय हिंदू धर्म के जनक और अद्यापि पालक, ऐसे ब्राह्मण भारत मे घुसखोरी करने वाले सर्व प्रथम ऐसे आर्य वंशीय है. उन्होंने जिसे धर्म के नामसे भारत के मुल निवासी सपुतों पर थोपा था, वोह हिंदू यह धर्म था हि नही, ऐसे भारतीय सुप्रीम कोर्ट का सत्यान्वेषी फैसला हुआ है. वोह हिंदू नामकी एक संस्कृती मात्र हि है, जिसकि नियमावली ब्राह्मनोंने मनुस्मृती नामके पुस्तक मे गठीत की है. वर्तमान अघोषित ब्राह्मण मुखीये ने भी समस्त ब्राह्मनोंकी ओरसे, उस उन्होंने ५००० सालोंसे यहा के मूलनिवासी, जिन्हे वे अभी भी झुठ से हिंदू घोषित और साबित करनेके अथक प्रयास कर रहे है, उनसे छिपाया हुआ सत्य आखिर मे...
!ब्राह्मणाय!अगर मुसलमान अफझलखानका हिंदू बम्मन नौकर भास्कर कुलकर्णी, उसके मालिक अफझलखानको बचानेके प्रयासमे हमारे वंदनीय शिवाजी महाराज को जानसे मारनेमे सफल होता, तो छत्रपती शिवाजी महाराज के नामपर गल्ला जमा करते घुमने वाला और महाराष्ट्रके बम्मन सी.एम. देवेंद्र फडणवीसके हाथो महाराष्ट्र भुषण पदवीसे नवाजा गया बम्मन नौटंकीया श्री बाबासाहेब पुरंदरे, आज शायद उस कुत्ते भास्कर कुलकर्णी या शिवाजी महाराज के जबरदस्त बेटे संभाजी महाराज को नशेबाज बनाके और फसाके मुघल औरंगझेबके शिकन्जें मे धकेलने वाले एक और बम्मन कुत्ता कवी कलश, जिसे कब्जी कलुषा के नामसे भी पेह्चाना जाता है, इनकी भी तारीफ प्राचीन बम्मन दगाबाज चाणक्य जैसी करते थे और दक्षिणाओंसेही अपनी झोलीया भरते नजर आते थे. वैसे भी भारतमे पहले घुसखोरी किये आर्य बम्मन, उनके बाद भारतमे घुंसे उनके ही भाईबंद मुसलमान और अंग्रेजोंकी सेवा ही मुल भारतीयोन्से वफादारीसे करते दिखाई दिये है. भारतीय मुलके सम्राट चन्द्रगुप्त के अनौरस पिता सम्राट नंद को धोखाघडी से मरवाने वाला चाणक्य भी तो बम्मन हि था! कमालका स्वार्थ और उसके लिये हरबार धोखाघडी करना इनके खून मे हि है. ...

Lok Satta 5 june

If Hinduism’ god Lord Rama’ unethical shamelessly murdered hermit Shambuka from untouchable made native Indians & his people sing carols or prayers of lord Rama, then instead of Rama spineless untouchables must be abused. Peoples praying Hindu gods are actually devoted & revere too to Brahmans. As source of their income in shape of Dakshana & for maintaining their labor less life style, Hinduism & its all gods are born from Brahmans’ brains. @लोकसत्ता १५ जूनचे पत्र @बंदर कितने भी इकजूट होते और शेकडो टोलीया भी बनाते शेर को मात देने कि सोचते है. फिर भी किसी भेडीये कि भी गुरगुराहट सुनकर तितर बितर हो जाते है, तो उनका शेर के बारे मे सोचनेका बन्दरी नजरिया हि उसके लिये जिम्मेदार है. शेर को मात देने गर वे शेर कि नजरिया से सोचे तो अपनी और शेर कि भी कमजोरीया भांप सकते है, और अपनी खामिया दूर करके या चतुराई से छीपाते शेर कि कमजोरीयों पर हमला कर के शेर को मात दे सकते है. उसके अकेले पर भी फिर कोई शेर हमला करने के पहले सौ बार सोचेगा. हमारे अपने जन बाबासाहेबजी कि बदौलत फिरसे शेर...