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Monki Modi' Manki Bate(Hindi)

मनकी बाते
@@@@क्याबे बनिये मनकी बाते, मनकी बाते कहते कहते, कहता और थोम्पता भी है बाते सारी बम्मन्की. है क्या कोई बम्मनोंसे अलग और केवल अपनीहि काह्लाने वाली एक भी बात तुम सबकी ? बचपन से तुम तो सुनते आये हो बम्मन कि, करते भी आये हो बाते बम्मन कि. क्या है तुम्हारा खुदका, अगर सारी कि सारी बाते है बम्मन कि. सोचा है क्या तुमने कभी भी जनकी? कि है तुमने शर्म अपने मनकी? ३३ करोड देवोंके साथ साथ धर्म कि सारी कि सारी किताबे भी उनकी, उनके पैर धुले गंदे पानी को भी तीर्थ समझकर पिने कि भी लत तुम सबकी. हिंदू धर्म जो केवल संस्कृतीही मानी गयी है, वोह संस्कृती भी उनकी, बचाई क्या कोई संस्कृती तुमने अपनी खुद्की ? और कहते फिरते हो बाते मनकी! विकृत रोगी हो तुम सारे के सारे आदत जो पडी है पैर उनके छुनेकी. तुम उनके सामने झुकते हो उनके पैर भी धोते हो, उसी धुले पानी तीर्थ समझकर पिते भी हो, कभी कि है इतनी सेवा तुमने अपने मां बापकी ? मालिक के सामने झुकने वाले नौकर को तो बिदागी मिलती है मालिक कि. तुम उनकेहि सामने सर झुका कर भी उन्हे हि दक्षणा देकर जेबे भरते हो उनकी. आया है बाते कहने अपने मनकी! तुम्हारे जैसे लाखो मुल निवासियोन्ने तीर्थ समझ कर चाटी है पैर धूली बम्मन कि, और टेक्स भरने वाले लोगोंके पैसोनपर जगभरमे घुमता फिरता है तू बाते करते मनकी. साली परदेसी बम्मन जमात भी तो है रिश्तेदार मुसलमान मोहम्मद के खानदान कि, फिर भी उनसे वोह हि दुष्मनी करा रहे है बीना सोचे तुम्हारे जानकी. दौड पडे थे वे मक्का के करबला मे मदद करने मोहम्मद के पोते हुसेनकी. हुसेनि बम्मन पदवी दि थी जब हुसेन ने उन्हे तो डिंग भी मारते थे वोह उस पदवीकी. और बुद्दू के बुद्दू तुम सारे उनके केवल बहकानेसे दुश्मनी निभा रहे हो मुसलमानोंकी. विकृत रोगी हो तुम सारे के सारे आदत जो पडी है पैर उनके छुनेकी. हिंदू संस्कृती जैसी योगा भी तो देन है बम्मन कि, फिर भी तुम्हे चढी है उसका प्रचार करनेकी धुनकी, करते भारतीयोंके पैसोंसे सैर दुनिया भरकी. और कहते जा रहे हो बाते मनकी! जब चाहे आधार लेते हो भारत कि शान बताने, यहा प्रताडे गांधी, आंबेडकर और बुद्ध भागवानकि, फिर भी करते हो सारी बाते देवोंकी जो देन है केवल बम्मन कि. मान ना मान पर हकीकत तू प्रधान है इस देस का जो खुद देन है बम्मनोंके आरएसएस कि. वैसे भी तो बनिये शुरुसे हि सोचते आ रहे है केवल कमिशन कि. परदेसी बम्मनोंने उंची जातकी लालच देकर हि तो मुफ्तमे गुलामी हासील कि है अपनी हि मातृभुमिमे तुम्हारे जैसे मुलनिवासीयोंकि. पंतप्रधान होते भी काम तो कर रहे हो हिंदू धरम फैलाने के मिशन कि, फालतू बाते सुनाते रहता है मनकी! मूलनिवासीयोंको एक दुसरे के कट्टर दुश्मन बनानेकी चाल भी तो है बम्मन कि, इन्सानियत को शरमिंदा करने वाली जातीयता भी देन है बम्मन कि. एकजूट थे मूलनिवासी, बात है भारत के उस सुवर्ण युगकी, लोग आज भी गर्व कर सकते है उन सम्राट अशोक और हर्ष वर्धनके शानकी. तुम काम तो क्या बाते भी न कर सकते हो उन पराक्रमियोन्के बराबरिकी. सारे के सारे काल्पनिक और मिथ्याके हिंदू देव, दर्शन तो छोडो, एक भी सबूत नही है जिनके अस्तित्व्की, मन हि मन यह जानकर परदेसी बम्मनोंने मदद लि साबित अस्तित्व वाले मूलनिवासी बुद्ध भगवानकी. विकृत रोगी हो तुम सारे के सारे आदत जो पडी है पैर उनके छुनेकी. अरे क्या बाते करने निकला है मनकी. लखलाभ हो तुम्हे और तुम्हारे जैसे वृथा रूबाब करनेवाले हिंदू धरमकि, जो देन है सारी केवल बम्मनोंकी. तुम्हे कसम है देवी पत्नी सिताकि जिसे बम्मन रावण कि, ह्मबिस्तर कहकर उसके के चरित्र पर थुंकने वाले एक मामुली धोबीकि, उसका बाल भी तेढा करने कि हिम्मत नही जूटा पाने वाले रामकी, केवल अछूत था इस कारण निरुपद्रवी तपस्या इच्छुक शंबूक ऋषी का वध करनेके लिये तलवार जिसकी खणकि. मामुली धोबी के एक गंदे आरोप पर पर्वा भी नही कि जानकी कि, भेजा रामने उस अभागन पत्नी देवी सीता को भी बेसहारा सैर कराने जंगलकि. और कसम है तुम्हारे उस किसन भगवानकि, जिसने बच्ची कि उमरकी लेकर राधा जैसी मां कि उमर कि भी औरत कि खैर नही कि. विकृत रोगी हो तुम सारे के सारे आदत जो पडी है पैर उनके छुनेकी. इसी तरह हिसाब करने जावू अगर केवल बम्मन कि देन ऐसे ३३ करोड देवोंके झुठे शानकी, तो सारी बाते भूल जावोगे खुद अपने भी मनकी. छोड दे यह सारी नौटंकी, बाते करनेकी मनकी! विकृत रोगी हो तुम सारे के सारे आदत जो पडी है पैर उनके छुनेकी. याद रहे, बम्मन बापोनसे ज्यादा संख्या वाले तुम्हारेही भारतीय मुल निवासि जन मनकी, वरना नवलखा कोट तो क्या लंगोट भी छोड कर भागना मुश्कील होगा, अगर तार उनके दिमागकी सनकी !

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Maratha Cowards

@ Hi Kshatriya Buddies! From last 5000 years, separated from your native colleagues, you followed, served & by sipping their foot washed liquid as holy, tried your best, to copy to foreign’ prophet Mohammad’ related Brahmans, with their only scripted Manusmruti, all so called holy books & with their imposed all only mythical & imaginary gods. If you counted & studied your status, from late Mr. Y.B. Chavhan, late Mr. Vasant Dada Patil, Mr. Rajnath Singh, Mr. Shivraj Chavhan or Mr. Sharad Pavar too, which is of the same posts of Brahmans’ attendants & guard, in so called free India. Forget their pulled & imposed, only real god in their Hinduism, as one of the incarnations, like Fish, Pig, Ram, Krishna, & your seven times’ eliminator Brahman Parshuram, of mythical powerful lord Vishnu, i.e. Lord Buddha from natives to follow or to remember too, but in then free environment of British rule, if you truly & voluntarily had walked only few steps in reverse

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